RSS 100 Years : संघ के शताब्दी वर्ष पर अशोक प्रधान हुए भावुक !

:- पूर्व केंद्रीय मंत्री अशोक प्रधान का बड़ा बयान : संघ-भाजपा में तालमेल जरूरी

नोएडा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं चार बार खुर्जा लोकसभा सांसद रहे अशोक प्रधान ने संघ के स्वयंसेवकों और समर्थकों को बधाई दी है। हालांकि, उन्होंने एक विशेष मुलाकात में चिंता जताते हुए कहा कि संघ ने जटिलताओं भरे 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं, लेकिन अब देश एक संवेदनशील दौर से गुजर रहा है, जहाँ सामंजस्य बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे।

अशोक प्रधान ने RSS के स्वयंसेवकों और भाजपा नेताओं के बीच बढ़ती दूरियों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि संघ के बिना राष्ट्र सेवा का उद्देश्य अधूरा रह जाएगा। उन्होंने कहा, “राजनीति और राष्ट्र सेवा दो अलग-अलग क्षेत्र हैं। राजनीति में कूटनीति होती है, जबकि राष्ट्र सेवा में भावनात्मक समर्पण की आवश्यकता होती है।”

पारिवारिक विरासत में मिले संघ के संस्कार

अशोक प्रधान के पिता स्वर्गीय मंगतराम प्रधान दिल्ली के घड़ौली गांव के निवासी थे और RSS की विचारधारा से गहरे प्रभावित थे। उन्होंने अपने बच्चों को भी संघ के संस्कार दिए। अशोक प्रधान के बड़े भाई स्वर्गीय ज्ञानचंद प्रधान 1967 में पहली बार विधायक बने और जनसंघ के माध्यम से संघ के कार्यों को आगे बढ़ाया। आज अशोक प्रधान की चौथी पीढ़ी उनके पौत्र अभिषेक प्रधान के रूप में संघ की सेवा में तत्पर है।

संघ के प्रचारकों की तपस्या को याद किया

अशोक प्रधान ने संघ के प्रचारकों की सेवा भावना को याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि संघ के 100 वर्ष पूरे होने और दुनिया का सबसे बड़ा संगठन होने के पीछे सबसे बड़ा कारण उसकी प्रचारकों का सेवा भाव है। उन्होंने संघ के प्रचारकों की तुलना एक महान संत एवं तपस्वी के रूप में की। अशोक प्रधान ने बताया कि संघ के प्रचारक अपना वस्त्र रगड-़ रगड़ कर इसलिए नहीं धोते थे कि वह जल्दी नष्ट हो जाएगा।साथ ही उनका कहना था कि संघ के स्वयंसेवक 365 दिन में 170 दिन भूखे ही जमीन पर सो जाते थे।

अशोक प्रधान ने 1975 के आपातकाल के दौरान अपने बड़े भाई ज्ञानचंद प्रधान की जेल यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनके बड़े भाई ने ही उन्हें राजनीति में प्रेरित किया, लेकिन वे हमेशा एक स्वयंसेवक की भावना से ही जुड़े रहे। अशोक प्रधान ने संघ के स्वयंसेवकों को कभी निराश नहीं किया। उनका कहना है कि वह खुद एक स्वयंसेवक रहे हैं उन्होंने स्वयंसेवकों के दर्द को बड़ी नजदीकी से महसूस किया है। अशोक प्रधान ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भारतीय जनता पार्टी के मध्य सामंजस्य का अभाव आना गंभीर चुनौतियों को दर्शाता है। उन्होंने कहा जहां शताब्दी वर्ष पूर्ण होने की हमें प्रसन्नता है वहीं बेहद संवेदनशील दौर में प्रवेश करना भी हमें किसी चुनौती से कम नहीं है। उनका कहना है कि राजनीति और राष्ट्र सेवा आज के परिदृष्य में दो अलग-अलग क्षेत्र हैं। अशोक प्रधान के अनुसार जहां राजनीति में कूटनीति की समावेशी होती है वहीं राष्ट्र सेवा में भावनात्मक संभाव होता है।

उन्होंने कोरोना काल के बाद संकट में फंसे परिवारों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए। उनका कहना था, “आज देश को एकजुटता और सेवा भाव की सबसे ज्यादा जरूरत है।”