. ✍️ योगेश राणा
:- खाद्य विभाग की जांच बनी रस्म अदायगी, मिलावटखोरों पर नहीं लगाम!
:- 52 फर्मों पर ₹1.91 करोड़ की रिकवरी, फिर भी नहीं थम रहा मिलावट का कारोबार!
न्यूज़ डायरी,नोएडा।
एक तरफ ज़िला अधिकारी गौतम बुध नगर मेधा रूपम भ्रष्टाचार और भूमाफियाओं के खिलाफ अपनी सख़्त और निष्पक्ष कार्रवाई से पूरे ज़िले में मिसाल पेश कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ विभागीय अफसरों का गोलमोल रवैया मिलावटखोरों के हौसले बढ़ा रहा है। खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच महज़ औपचारिकता बनकर रह गई है।
खाद्य विभाग की टीम बाज़ारों से सैंपल तो ज़रूर उठाती है, लेकिन उनकी रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं।रिपोर्ट आने तक मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है, और जब तक जुर्माना लगता है, तब तक मिलावटखोर फिर से उसी धंधे में लौट आते हैं। स्थिति ये है कि जिला प्रशासन ने मिलावट करने वालों पर लाखों-करोड़ों का जुर्माना तो लगाया,लेकिन कुल जुर्माने की आधी राशि तक भी वसूली नहीं हो पाई है। मजबूर होकर प्रशासन को 52 फर्मों के खिलाफ ₹1.91 करोड़ की रिकवरी (RC) जारी करनी पड़ी है।
ये है सूरत-ए-हाल
खाद्य विभाग ने 1 अप्रैल से 31 अगस्त 2025 तक जिले में 91 फर्मों पर ₹2.51 करोड़ का जुर्माना लगाया, लेकिन वसूली सिर्फ दो फर्मों से ही हो सकी। सबसे ज्यादा मिलावट पनीर में पाई गई है। जांच में सामने आया है कि हर महीने लिए जाने वाले 50 से 60 फीसदी सैंपल फेल हो रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि फेल होने वाले ज्यादातर सैंपल पड़ोसी जिले अलीगढ़ से आने वाले पनीर के हैं।