✍️ योगेश राणा
:- न्यूज़ डायरी, नोएडा।
नोएडा के सेक्टर-30 स्थित सरकारी अस्पताल चाइल्ड पीजीआई के मेडिकल जेनेटिक्स विभाग ने सेक्टर-22 की एक 3 वर्षीय बच्ची में टर्नर सिंड्रोम का सफल निदान किया है। डॉक्टरों की टीम ने इसके लिए क्वांटिटेटिव फ्लोरोसेंट पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (QF-PCR) तकनीक का इस्तेमाल किया, जो गुणसूत्र संबंधी असामान्यताओं का तेज़ और सटीक पता लगाने की आधुनिक विधि है। जांच में मोनोसॉमी X की पुष्टि हुई, यानी बच्ची में एक X गुणसूत्र की कमी पाई गई, जो टर्नर सिंड्रोम की मुख्य पहचान है। यह बीमारी केवल लड़कियों को प्रभावित करती है और समय पर पहचान न होने पर छोटे कद, हार्मोनल असंतुलन और अन्य चिकित्सीय जटिलताओं का कारण बन सकती है।
डॉ. दिनेश साहू ने बताया कि क्यूएफ-पीसीआर तकनीक पारंपरिक जांचों की तुलना में बहुत तेज़ परिणाम देती है और इससे समय पर इलाज शुरू किया जा सकता है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आकाश राज ने कहा कि देश में एम्स और एसजीपीजीआई लखनऊ जैसे कुछ ही सरकारी संस्थान इस जांच की सुविधा दे रहे हैं। प्रो. डॉ. ए. के. सिंह ने बताया कि कुछ महीने पहले ही पीजीआईसीएच, नोएडा में आधुनिक आनुवंशिक विश्लेषक उपकरण लगाए गए हैं और अब तक करीब 20 बच्चों की जांच हो चुकी है। डॉ. डी. के. सिंह (डीन) ने बताया कि यह मल्टी-स्पेशलिटी बाल चिकित्सा अस्पताल है जहां बीटा थैलेसीमिया, डाउन सिंड्रोम, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी और अन्य आनुवंशिक विकारों की जांच किफायती दरों पर की जा रही है। निजी अस्पतालों में जो जांचें 10 से 15 हजार रुपये तक की होती हैं, वही अब यहां सामान्य जनता के लिए सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं। बच्ची के माता-पिता ने अस्पताल प्रशासन का आभार जताया और कहा कि समय पर जांच से इलाज और परामर्श मिलना उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं।