✍️ योगेश राणा
:- पदभार संभालते ही कार्यशैली में बदलाव, 9 साल से जमे असलाह बाबू को हटाया
न्यूज़ डायरी,नोएडा।
गौतमबुद्धनगर की नव नियुक्त जिलाधिकारी आईएएस मेधा रूपम ने कार्यभार ग्रहण करते ही जिले के अधिकारियों को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि लापरवाही और भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर चलते हुए उन्होंने जिले की कार्यशैली में सुधार की दिशा में पहला बड़ा कदम उठाते हुए 9 वर्षों से जमे असलाह बाबू अरविंद कुमार को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया है।
पद संभालते ही एक्शन मोड में आईं डीएम मेधा रूपम
जनहित और पारदर्शिता को दी पहली प्राथमिकता
जिलाधिकारी मेधा रूपम ने चार्ज लेते ही स्पष्ट कर दिया था कि उनके लिए जनहित सर्वोपरि है। उन्होंने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए थे कि सभी विभाग पारदर्शिता से काम करें और किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके बावजूद असलाह विभाग में पाई गईं अनियमितताओं को लेकर उन्होंने कड़ी चेतावनी दी थी।
क्यों हुई असलाह बाबू अरविंद कुमार पर कार्रवाई?
लगातार लोकेशन पूछने की आदत बनी कार्रवाई की वजह
सूत्रों के अनुसार, अरविंद कुमार पिछले 9 वर्षों से असलाह विभाग में बाबू के पद पर कार्यरत थे। इस दौरान कई जिलाधिकारी आए और गए, मगर कोई भी उन्हें उस पद से नहीं हटा पाया। लेकिन आईएएस मेधा रूपम ने पदभार संभालते ही जहां व्यवस्थाओं में सुधार की प्रक्रिया शुरू की, वहीं यह भी पाया कि अरविंद कुमार बिना किसी विशेष आवश्यकता के जिलाधिकारी के वाहन चालक से बार-बार लोकेशन की जानकारी मांग रहे थे।
इस व्यवहार को अनुशासनहीनता और संदिग्ध गतिविधि मानते हुए डीएम ने स्वयं संज्ञान लिया और अरविंद कुमार को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त कर दिया।
नई जिम्मेदारी सत्येंद्र कुमार को सौंपी
जवाबदेही और पारदर्शिता पर रहेगा ज़ोर
अरविंद कुमार को हटाए जाने के बाद असलाह विभाग की जिम्मेदारी अब सत्येंद्र कुमार को सौंपी गई है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया है कि जिले में उत्तर प्रदेश सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को सख्ती से लागू किया जाएगा और किसी भी स्तर की लापरवाही, भ्रष्टाचार अथवा अनुचित व्यवहार को अनदेखा नहीं किया जाएगा।
अधिकारियों को चेतावनी: पारदर्शिता से करें कार्य, नहीं तो होगी सख्त कार्रवाई
डीएम मेधा रूपम की इस पहली बड़ी कार्रवाई के बाद अब जिले के अन्य विभागों में भी सतर्कता बढ़ गई है। प्रशासनिक गलियारों में इस कार्रवाई को एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जिससे यह साफ है कि अब जिले की कार्यसंस्कृति में बदलाव तय है।