✍️ योगेश राणा।
:– क्या यह प्रशासनिक भूल है या योजनाबद्ध लापरवाही? नोएडा का बड़ा मामला
न्यूज़ डायरी,नोएडा।
नोएडा के बेसिक शिक्षा विभाग से एक बेहद चौंकाने वाली और गंभीर लापरवाही सामने आई है। आपने अक्सर सुना होगा कि “दिया तले अंधेरा”, लेकिन यहां तो शिक्षा विभाग तले अंधेरा दिखाई दे रहा है। एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए कई बड़े कदम उठा रही है, जिसमें एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी प्राथमिक स्कूलों का विलय कर उन्हें मजबूत बनाना और शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है। उद्देश्य यही है कि राज्य के किसी भी स्कूल में शिक्षक की कमी न हो और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ संसाधनों का सही उपयोग हो।लेकिन नोएडा के शिक्षा विभाग में ऐसी लापरवाही सामने आई है जो न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है बल्कि आम जनता के टैक्स के पैसे की बर्बादी का भी प्रतीक है।
घटना : सदरपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय में दो हेडमास्टर तैनात
यह मामला नोएडा के ब्लॉक बिसरख के सदरपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय से जुड़ा है। यहां दो महिला शिक्षिकाओं को एक ही विद्यालय में हेडमास्टर बना दिया गया। वहीं, शिक्षा विभाग ने इन दोनों का ट्रांसफर करना भी भूल गया। यह केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि लापरवाही का ज्वलंत उदाहरण है।
सूत्रों के अनुसार, विद्यालय में पहले से तैनात सरोज कुमारी को 07 अप्रैल 2016 को प्राथमिक विद्यालय सदरपुर में नियुक्त किया गया था। वहीं सुनीता कुमारी को 24 अगस्त 2019 को तत्कालीन बीएसए बाल मुकुंद के आदेश पर उसी विद्यालय में तैनात कर दिया गया। इसके बाद से दोनों शिक्षिकाएं एक ही पद पर कार्यरत हैं ।
अगर हम सूत्रों की माने तो, दोनों कई वर्षों से विद्यालय में कार्यरत हैं। बावजूद इसके शिक्षा विभाग ने न तो इस दोहरी नियुक्ति को सुधारा और न ही उनका ट्रांसफर सुनिश्चित किया।यह स्थिति न केवल प्रशासन की सुस्ती को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि किस तरह सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।
प्रशासन की चुप्पी, सवालों के घेरे में व्यवस्था
खबर लिखे जाने तक बीएसए से संपर्क कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।इससे शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी पर और भी सवाल उठते हैं। क्या यह महज प्रशासनिक भूल है या सिस्टम की खामियों का नतीजा?