जहाँ चाह वहाँ राह : पुलिस के प्रयासों से नेत्रहीन सूरज पहुंचा अपने घर।

✍️ योगेश राणा

न्यूज़ डायरी,नोएडा।

कहते हैं पुलिस सिर्फ कानून-व्यवस्था की रखवाली नहीं करती, कई बार वह उम्मीद की किरण भी बन जाती है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण नोएडा पुलिस ने पेश किया है, जब उन्होंने दिवाली से ठीक पहले एक नेत्रहीन बच्चे की जिंदगी में ‘रोशनी’ लौटा दी।

दो साल पहले हुआ था गायब, घर में छाया था सन्नाटा

नोएडा थाना फेस-1 क्षेत्र के सेक्टर-9 मे रहने वाला 14 वर्षीय नेत्रहीन सूरज आज से लगभग दो वर्ष पहले अचानक लापता हो गया था। परिवार ने हर जगह तलाश की, पर कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस ने गुमशुदगी का केस दर्ज किया और लगातार उसकी तलाश में जुटी रही।मां-बाप की आंखों में उम्मीद की चमक धीरे-धीरे बुझ रही थी, लेकिन पुलिस ने हार नहीं मानी।

“रेत में हीरा खोजने जैसा था यह मिशन” — एडिशनल डीसीपी सुमित शुक्ला

एडिशनल डीसीपी सुमित शुक्ला ने बताया कि सूरज को ढूंढना आसान नहीं था। “दो साल का समय बीत चुका था, कोई ठोस जानकारी नहीं थी। हर संभावना की जांच की गई — दिल्ली, एनसीआर, आश्रमों, रेलवे स्टेशनों और एनजीओ तक पुलिस ने कई दौरे किए। यह वाकई रेत में हीरा खोजने जैसा मुश्किल काम था।”

आखिरकार पुलिस की मेहनत रंग लाई जब दिल्ली में डीएमआरसी के आश्रम परिसर में एक नेत्रहीन बच्चे की सूचना मिली। मौके पर पहुंचकर टीम ने पहचान की और पाया कि वह कोई और नहीं बल्कि वही सूरज है जिसकी तलाश पुलिस दो वर्षों से कर रही थी।तत्परता दिखाते हुए पुलिस ने सूरज को सुरक्षित नोएडा वापस लाया।

जैसे ही सूरज अपने परिवार से मिला, घर में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मां ने बेटे को सीने से लगाया और दोनों की आंखों से आंसू बह निकले। पूरे परिवार ने नोएडा पुलिस को धन्यवाद देते हुए कहा “दिवाली से पहले हमारे घर में असली रोशनी पुलिस लेकर आई है।”

यह घटना केवल एक बच्चे को परिवार से मिलाने की कहानी नहीं, बल्कि मानवता की मिसाल है। नोएडा पुलिस ने साबित किया कि खाकी सिर्फ सख्ती का प्रतीक नहीं, संवेदनशीलता और समर्पण का प्रतीक भी है।