✍️ योगेश राणा
:- तीन सालों में 9 सफाईकर्मी गंवा चुके जान, जिम्मेदार कौन?
न्यूज़ डायरी,नोएडा।
उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली हाईटेक सिटी नोएडा में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है – क्या इस चमचमाते शहर को साफ रखने वाले सफाई कर्मचारियों की जान इतनी सस्ती है कि उन्हें सुरक्षा के बुनियादी उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराए जाते?
पिछले तीन सालों में सीवर और नालों की सफाई के दौरान 9 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। लेकिन अब तक इन मौतों के जिम्मेदारों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
हालांकि हम आपको बता दें कि अभी हाल ही में दो सफाई कर्मचारियों की मौत के मामले में नोएडा प्राधिकरण ने कार्रवाई की है। जांच रिपोर्ट के आधार पर सीईओ डॉ. लोकेश एम ने जलखंड प्रथम के संविदा अवर अभियंता अनिल वर्मा को तीन माह के लिए सेवा से मुक्त कर दिया है। प्रबंधक पवन बर्नवाल को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है, जबकि प्रभारी वरिष्ठ प्रबंधक अशोक कुमार वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
नोएडा प्राधिकरण पर उठे सवाल
नोएडा प्राधिकरण, जिसे प्रदेश की आर्थिक राजधानी का संचालनकर्ता कहा जाता है, इन मौतों पर बेपरवाह नजर आता है। सवाल यह है कि प्राधिकरण के पास सुरक्षा किट, ऑक्सीजन सिलेंडर, ग्लव्स, बूट्स और गैस मास्क उपलब्ध कराने का बजट नहीं है या फिर अधिकारियों की मंशा ही नहीं है?
ठेकेदारी व्यवस्था के तहत काम कर रहे इन सफाई कर्मचारियों को बिना सुरक्षा उपकरणों के ही गहरे नाले और सीवर में उतार दिया जाता है। नतीजा यह होता है कि जहरीली गैसों और ऑक्सीजन की कमी से उनकी जान चली जाती है।
प्राधिकरण के अधिकारी वातानुकूलित दफ्तरों में बैठकर फाइलों पर स्याही फेर देते हैं, लेकिन जमीन पर काम करने वाले सफाई कर्मियों की स्थिति से बेखबर रहते हैं शायद। इन हादसों से उनके जैसे मानो कुछ फर्क ही नहीं पड़ता।
लेकिन हकीकत यह है कि हर सफाई कर्मचारी के पीछे एक परिवार होता है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी उसी पर टिकी होती है। मौत के बाद परिवार न केवल कमाने वाले सदस्य को खो देता है बल्कि आर्थिक और सामाजिक संकट में भी डूब जाता है।
“जाके पाँव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई”
कबीर दास जी का यह दोहा आज भी प्रासंगिक है। जिस तरह प्राधिकरण के अधिकारी इन हादसों को सामान्य मानकर इति श्री कर देते हैं, उस पर यह पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती हैं।
आखिर जिम्मेदार कौन?
नोएडा प्राधिकरण – जो बजट और सुविधाओं की जिम्मेदारी रखता है।
ठेकेदारी व्यवस्था – जो बिना सुरक्षा साधनों के सफाई कर्मचारियों को खतरनाक हालात में उतारती है।
फील्ड अफसर – जो मौके पर निगरानी नहीं करते और नियमों की अनदेखी करते हैं।