पुलिस कस्टडी में मौतों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

✍️ योगेश राणा


  • :- राजस्थान में 8 महीनों में 11 मौतें, कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

Police-custodial-death : देशभर में पुलिस हिरासत में हो रही मौतों को लेकर अब सर्वोच्च न्यायालय गंभीर हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच—जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता—ने मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए स्वत: नोटिस जारी किया है। अदालत ने कहा कि पुलिस अभिरक्षा में मौतें एक बेहद चिंताजनक स्थिति की ओर इशारा करती हैं।

राजस्थान का मामला बना ट्रिगर

कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया कि राजस्थान में पिछले 7 से 8 महीनों में पुलिस कस्टडी में 11 लोगों की मौत हुई है। अदालत ने टिप्पणी की कि यह स्थिति चौंकाने वाली और अस्वीकार्य है।

सीसीटीवी आदेश की याद दिलाई

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही 2020 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सभी पुलिस थानों, जांच एजेंसियों (ED, CBI, NIA) के दफ्तरों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग क्षमता वाले CCTV कैमरे लगाने का निर्देश दिया गया था। लेकिन अदालत ने अफसोस जताया कि इसका अनुपालन अब तक अधूरा है।

किन राज्यों में सबसे ज्यादा मौतें?

NHRC के आंकड़ों से बड़ा खुलासा

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के मुताबिक, 2018 से 2023 के बीच पुलिस कस्टडी में मौतों का आंकड़ा चौंकाने वाला है।

महाराष्ट्र – 80 मौतें

मध्य प्रदेश – 50

बिहार – 47

उत्तर प्रदेश – 41

पश्चिम बंगाल – 40

तमिलनाडु – 36

राजस्थान – 33

पंजाब – 31

कर्नाटक – 29

असम – 28

इन आंकड़ों से साफ है कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में कस्टोडियल मौतों की संख्या सबसे अधिक रही है।

उत्तर प्रदेश का हाल

2024-25 में रफ्तार से बढ़ रहे हैं मामले

उत्तर प्रदेश में 2018-23 के दौरान 41 मौतें पुलिस हिरासत में दर्ज की गईं। हालांकि, 2024-25 का पूरा आधिकारिक डेटा अभी उपलब्ध नहीं है। मगर मीडिया रिपोर्ट्स और प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, इस अवधि में यूपी में कस्टोडियल मौतों की रफ्तार तेज हुई है।

राष्ट्रीय स्तर पर भी स्थिति गंभीर है। केवल जनवरी से अगस्त 2024 तक NHRC ने 107 कस्टोडियल मौतों के मामले दर्ज किए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात किस दिशा में जा रहे हैं।