“सच्चा गुरू कौन” पर आर्य गोष्ठी संम्पन्न

सच्चा गुरु धर्मज्ञ व निस्वार्थी होता है -अतुल सहगल

गाजियाबाद:- केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “सच्चा गुरू कौन” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल में 420 वां वेबिनार था।

वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने  इस अत्यंत मौलिक और सर्वदा प्रासांगिक विषय को लेते हुए गुरु की विस्तृत परिभाषा प्रस्तुत की और सृष्टि में ज्ञान,शिक्षा और सत्कर्मों की प्रेरणा देने वाले अनेक स्रोतों की चर्चा कीl वर्तमान समाज में अनेक प्रकार के शिक्षकों,प्रचारकों,प्रशिक्षण देने वालों और व्यक्तिवाद पर आधारित छोटे छोटे पंथ चलाने वालों को गुरु की संज्ञा दे दी जाती है।पर इनमें सब सच्चे गुरु की श्रेणी में नहीं आते।सच्चा गुरु सच्चे धर्म की शिक्षा देने वाला होता है।वह मनुष्य को उसकी सर्वांगीण उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाता है।वह अर्धज्ञान,भ्रान्तियों, छल और पाखंड से कोसों दूर होता है।उन्होंने ऐसे गुरु की विवेचना की।सृष्टि में ज्ञानी मनुष्यों के अतिरिक्त अन्य प्राणी–पशु पक्षी और वृक्ष आदि भी शिक्षा के स्त्रोत हैं।उनसे साधारण मानव बहुत कुछ सीख सकता है।साथ ही सच्चे गुरु के चयन की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए स्वामी विरजानद और उनके शिष्य महर्षि दयानन्द का उदाहरण प्रस्तुत किया।आजकल अनेक मनुष्य अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए ही भटकते हैं और ढोंगी बाबाओं के पास पहुँच कर अपनी हानि करते हैं।सामान्य मनुष्य को अपने विवेक को बलवान और प्रबल बनाने पर ज़ोर दिया,जिससे दुष्ट और पाखंडी तथाकथित गुरुओं से बच सकें।सच्चे गुरु मनुष्य हो सकते हैं जिनमें विद्वान,आप्त पुरुष सम्मिलित हैं।सच्चा गुरु धर्मज्ञ और निस्वार्थी होता है।वह अपने शिष्य को धर्म के मार्ग पर चलाकर उसका कल्याण करता है। ईश्वर की ओर संकेत करते हुए कहा कि वह सर्वोच्च सच्चा गुरु है क्योंकि वह गुरुओं का गुरु है। उसका मार्गदर्शन हमें अपने अन्तःकरण में मिलता रहता है।हमें उसके संकेत और सन्देश ग्रहण करने चाहियें।उसके साथ उपासना पद्धति से अपना जोड़ जोड़े रखना चाहिए।सच्चे गुरु की विवेचना में आर्ष ग्रंथों की चर्चा भी की और उन्हें गुरु रूप बताया। सच्चे गुरु की विस्तृत व्याख्या करते हुए,उसकी पहचान की सही कसौटी प्रस्तुत की।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि हम एक मटका भी लेते है तो ठोक बजा कर देखते हैं तो गुरु भी सोच विचार परख कर बनाना चाहिए।

मुख्य अतिथि शिक्षाविद् जगदीश पाहुजा व अरुण आर्य(प्रधानाचार्य डी ए वी स्कूल झंडेवालान) ने भी महर्षि दयानंद जी को सच्चा गुरु बताया कि जो केवल समाज के लिए कार्य करते हैं।

भजनामृत से हुआ समापन:

गोष्ठी के बाद गायक सुदेश आर्या,रविन्द्र गुप्ता, कमला हंस,ईश्वर देवी,प्रतिभा कटारिया,कुसुम भंडारी,कौशल्या अरोड़ा,रेखा गौतम,जनक अरोड़ा, मृदुला अग्रवाल,कमलेश चांदना आदि के मधुर भजन हुए।

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