✍🏻 योगेश राणा
:- महिलाएं और पुरुष दोनों को है बराबर का खतरा।
नोएडा :- विश्व हृदय दिवस वैसे तो 29 सितंबर को है मगर नोएडा फोर्टिस हॉस्पिटल ने आज विश्व हृदय दिवस के मौके पर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस अवसर पर फोर्टिस हॉस्पीटल के चेयरमैन,कार्डियाक साइंसेज़ के डॉ अजय कौल ने कहा कि कुछ समय पहले तक ऐसा माना जाता था कि हार्ट अटैक का खतरा केवल बुजुर्गों को रहता है। लेकिन पीछले कुछ समय में देखने में आ रहा है कि युवाओं में भी,विशेष रूप से 30 से 40 साल की उम्र के लोगों को भी हृदय रोग तेजी प्रभावित कर रहे हैं।इसका मुख्य कारण तेज रफ्तार जीवन और खराब लाइफस्टाइल है।आमतौर पर, हृदय रोगों के बारे में यह धारणा थी कि ये रोग केवल अधिक उम्र के वयस्कों को ही प्रभावित करते हैं।लेकिन हाल के अध्ययनों से यह चिंताजनक तस्वीर उभरी है कि अब अधिक युवा भारतीय हार्ट अटैक तथा अन्य कार्डियोवास्क्युलर रोगों के शिकार बन रहे हैं।इसका कारण काफी हद तक लाइफस्टाइल में बदलाव होना है जो खानपान की खराब आदतों, व्यायाम रहित जीवनशैली, और बढ़ते तनाव का परिणाम है। युवा वयस्कों में बढ़ रहे हृदय रोगों के मद्देनज़र, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और डिस्लिपीडेमिया (खून में लिपिड की मात्रा असामान्य होना) की जांच करवाना महत्वपूर्ण है। रूटीन हेल्थ चेकअप के दौरान समय पर रोगों के पकड़ में आने की संभावना बढ़ जाती है और रोगों का बेहतर तरीके से उपचार हो पाता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।”
फॉर्टिस हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर तथा डायरेक्टर एंड एचओडी, कार्डियोलॉजी संजीव गेरा ने क्या कुछ बताया!
डॉ गेरा ने बताया कि हम हर साल करीब 70 से 80 हृदय संबंधी रोगों के मामले देख रहे हैं। हाल में हमने 30 से 40 साल की उम्र के कुछ युवा मरीजों का उपचार किया, इन सभी को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। अस्पताल में भर्ती होने के तुरंत बाद ही, उनकी पूरी जांच की गई और तत्काल उपचार किया गया। इन मरीजों को उपचार से फायदा पहुंचा और अब वे सामान्य जीवन बिता रहे हैं। देखा गया है कि युवाओं में बढ़ते हृदय रोगों के पीछे बढ़ता तनाव और व्यायामरहित जीवनशैली मुख्य रूप से जिम्मेदार है। इस दौरान अस्पताल से इलाज करवाने वाले पांच मरीज़ मौजूद रहे जिन्होंने अपने अतीत के बारे में बताया कि कैसे उन्होंने अपने जीवन के साथ लापरवाही की लेकिन सही समय पर मेडिकल परीक्षण लेने के बाद आज वह सुखद