जानिए हरेला पर्व और उसका महत्व
उत्तराखंड/दिल्ली:- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पर्यावरण को समर्पित लोक पर्व ‘‘हरेला‘‘ उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक परम्परा का प्रतीक है। यह पर्व हमें सम्पन्नता, हरियाली और पर्यावरण संरक्षण का भी सन्देश देता है। पर्यावरण संरक्षण तथा प्रकृति को महत्व देने की हमारी परम्परा रही है।

धामी ने कहा कि हरेला सुख-समृद्धि व जागरूकता का भी प्रतीक है। हमारी आने वाली पीढ़ी को शुद्ध वातावरण मिल सके इसके लिए सबको वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण के प्रति ध्यान देना होगा। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से आज दुनिया भर के देश चिंतित हैं। यह पर्व ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ने का भी संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण के साथ उनके संरक्षण के प्रति भी ध्यान देना होगा।
क्या है हरेला पर्व:

दरअसल हरियाली का प्रतीक हरेला लोकपर्व न सिर्फ एक पर्व है बल्कि एक ऐसा अभियान है, जिससे जुड़कर तमाम प्रदेशवासी बरसों से संस्कृति और पर्यावरण दोनों को संरक्षित करते आ रहे हैं। हरेला पर्व साल में तीन बार मनाया जाता है, पहला चैत्र माह में, दूसरा श्रावण माह में और तीसरा अश्विन माह में। हरेला का मतलब है हरियाली। उत्तराखंड में गर्मियों के बाद जब सावन शुरू होता है, तब चारों तरफ हरियाली नजर आने लगती है, उसी वक्त हरेला पर्व मुख्य रूप से मनाया जाता है।
ऐसे मनाया जाता है:
हरेला लोकपर्व जुलाई के महीने में मनाया जाता है, जिससे 9 दिन पहले मक्का, गेहूं, उड़द, सरसों और भट जैसे 7 तरह के बीज बोए जाते हैं और इसमें पानी दिया जाता है। कुछ दिनों में ही इसमें अंकुरित होकर पौधे उग जाते हैं, उन्हें ही हरेला कहते हैं। इन पौधों को देवताओं को अर्पित किया जाता है। घर के बुजुर्ग इसे काटते हैं और छोटे लोगों के कान और सिर पर इनके तिनकों को रखकर आशीर्वाद देते हैं।
डाक से भी भेजा जाता है हरेला:
उत्तराखंड की संस्कृति से युवाओं जोड़ने के लिए बड़े बुजुर्ग कोई कसर नहीं छोड़ते। अगर परिवार का बेटा या बेटी घर से बाहर होते हैं, तो कुछ लोग उनके पास यह हरेला डाक के माध्यम से भी भेजते हैं। उत्तराखंड की संस्कृति में युवाओं और बुजुर्गों को जोड़ने वाला हरेला पर्व संस्कृति के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाता है।
आज का मुहूर्त:

शिव उपासना का महापर्व हरेला पर्व काटने का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से 11.30 बजे तक है। श्रावण मास में शिव पूजा का विशेष महत्व है। इसके अनुसार जो व्यक्ति जीवन में श्रावण मास पर्यन्त शिव आराधना करते हैं या पार्थिव पूजन करते हैं उन्हें भगवान कुबेर से धन वैभव प्राप्त होता है।
प्रदेश में रोपे जाएंगे 15 लाख से अधिक पौधे:
हरेला पर्व उत्तराखंड में जोर-शोर से मनाया जाएगा। इस दौरान वन विभाग ने प्रदेशभर में 15 लाख से अधिक पौधे रोपने का लक्ष्य रखा है। देहरादून सिटी में 2 लाख से अधिक पौधे रोपे जाएंगे। पहली बार इस उत्सव पर 8 लाख से अधिक फलदार पौधे रोपे जाने का लक्ष्य रखा गया है।