आरटीआई में हुआ खुलासा
नई दिल्ली:- मंहगाई पर संसद में बहस और लगातार पक्ष विपक्ष के बीच की खींचतान के दौरान एक आरटीआई में मिले कुछ आंकड़े चौकाने वाले हैं। नोएडा के एक समाजसेवी का दावा है कि देश के सांसदों का पिछले बारह सालों का रेल यात्रा का बिल 215 करोड़ से भी ऊपर का हो चुका है । समाजसेवी रंजन तोमर ने बताया है कि ये जानकारी उन्हें लोक सभा सचिवालय द्वारा प्राप्त कराई गई है। तोमर ने बताया कि अपने जवाब में सचिवालय कहता है की डेबिट दावे के समेकित बिल रेल मंत्रालय से वेतन एवं लेखा कार्यालय द्वारा प्राप्त किये जाते हैं और उन्हें प्रसंस्करण के लिए एमएसए शाखा को अग्रसित किया जाता है।

प्रसंस्करण के बाद , बिल भुगतान के लिए भुगतान एवं और लेखा कार्यालय को भेज दिए जाते हैं , वास्तविक संवितरण वेतन एवं लेखा कार्यालय द्वारा किया जाता है। शाखा के उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार , जनवरी 2010 से अबतक पिछले 12 वर्षों में संसद सदस्यों द्वारा रेल यात्रा के कारण इस शाखा दवरा डेबिट बिल दावे के 76 बिल संसाधित कए गए हैं। 21 /07 /22 को एमएसए शाखा के पास कोई बकाया डेबिट दावा बिल नहीं है। पीए (एनजीपी एंड एफ ) – इस कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार जनवरी 2010 से अबतक के वर्षों के दौरान कुल 211,14,55,086 (रुपए दो सो ग्यारह करोड़ चौदह लाख पचपन हज़ार छियासी ) का भुगतान कर दिया गया है तथा लगभग कुल रुपए 4,04,11,198 (चार करोड़ चार लाख ग्यारह हज़ार एक सौर अट्ठानवे रुपए मात्र ) बकाया है , भुगतान करने की कार्यवाही की जा रही है।
तोमर ने कहा:

इस मामले में समाजसेवी रंजन तोमर का कहना है की इस आरटीआई के माध्यम से वह समझना चाहते थे की अपने चुनावों में करोड़ों रुपए खर्च करने वाले माननीय कितना सरकारी पैसा रेल यात्राओं में इस्तेमाल करते हैं , अब सवाल यह भी हैं की इनमें से कितनी यात्राएं सरकारी कामों के लिए होती हैं और कितनी निजी। जाहिर है मंहगाई के इस दौर में आम एक तरफ आम आदमी लगातार परेशान होता जा रहा है,तो दूसरी तरफ नेताओं पर तमाम तरह की छूट और खर्च भी एक बड़ा प्रश्न हैं।