Noida News : अंकुर साहित्य परिवार के कार्यक्रम में दर्जनों साहित्यकार हुए सम्मानित


:- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में सम्मान समारोह एवं काव्य गोष्ठी

नोएडा :- अंकुर साहित्य परिवार द्वारा रविवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में सम्मान समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन नोएडा सेक्टर 29 स्थित नोएडा मीडिया क्लब के सेमिनार हॉल में संपन्न हुआ। बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित शारदा चतुर्वेदी, अध्यक्षा, भाजपा महिला मोर्चा, नोएडा महानगर ने सभी प्रतिभागी साहित्यकारों को अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया। डॉ अपर्णा प्रधान, नीलम हस्तीर, उषा मक्कड़ माणवी, सिम्मी सूद को अंकुर साहित्य शिरोमणि महिला सम्मान तथा एस के सूद पूजा “मातो श्री” को अंकुर साहित्य श्रेष्ठ अवार्ड एवं सुनीता सोनू को श्रेष्ठ साहित्य संपादक सम्मान से नवाजा गया। चंद्र स्वरूप बिसारिया, डॉ सुनील शर्मा, कुंतल शर्मा रतूड़ी, तृप्ति सिंह, डॉ आर के पाठक मयंक, मीनाक्षी शर्मा, रश्मि किरण, कवि राज शर्मा टेरी को को काव्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।

गाजियाबाद के डॉ. मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ‘शिखर’ को साहित्यिक योगदान हेतु काव्य गौरव सम्मान तथा अंकुर काव्य शिरोमणि सम्मान कुल दो सम्मान मुख्य अतिथि के कर-कमलों द्वारा प्राप्त हुआ। धर्मपाल गांधी, तृप्ति सिंह तथा रश्मि अग्निहोत्री को अंकुर काव्य रत्न सम्मान से नवाजा गया।इस अवसर पर धर्मपाल गांधी जी की पुस्तकहिंद की क्रांतिकारी बेटियां, तृप्ति सिंह की पुस्तक नारी मन के भाव, रश्मि विपिन अग्निहोत्री की पुस्तक मुस्कराता पतझड़ तथासाझा संग्रह उर्जिता, रामराज्य पदार्पण एवं बज्म ए हिंद का विमोचन मुख्य अतिथि के कर कमलों द्वारा किया गया। धर्मपाल गांधी ने अपनी पुस्तक हिंद की क्रांतिकारी बेटियां पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।उक्त अवसर पर आयोजित काव्य पाठ में जितेंद्र अनजान ने अपनी कविता सारी जवानी शराफत में गुजार दी हमने, विजय लक्ष्मी विजय ने जब बेटियां बड़ी हो जाती हैं खुद को आईने में निहारने लगती हैं,कुंतल शर्मा रतूड़ी की कविता बंदिश न रहे न रहे कोई सांकल, रश्मि किरण की दर्द को जो बदले खुशी में, खुशियों को जो कर दे कई गुना, ऐसी होती हैं बेटियां सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।गुरुग्राम डॉ सुनील शर्मा की नारी प्रेरक कविता कब तक करती रहोगी गुहार, उषा मक्कड़ की अधूरे सपनों को पूरा करते चली मैं तेरी लाडली मैं तेरी लाडली, तृप्ति सिंह की रचना मैं नारी हूं अबला समझो या सबला तुम्हारी बुद्धि पर छोड़ दूंगी एवं न हो गुमनाम ये जीवन कुछ ऐसा काम कर जाएं, डॉ अपर्णा प्रधान की लाइनें स्त्री का आग से सहस्त्रों पुराना नाता है से भाव विभोर होकर दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं। डॉ नीलम हस्तीर की रचना अभी न तुमको यकीन होगा अभी न मानोगे बात मेरी, एस के सूद पूजा की प्रस्तुति ऐ मानव मैं औरत हूं..फिर देख मेरी उड़ान, डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर ने दो रचनाएं मेरे राम चले आना एवं मेरे राम आ गए हैं सुनाई तो सुनीता सोनू ने ईश्वर से मिली दुनिया, को नारी सौगात आदि दोहों के माध्यम से नारी महिमा का गुणगान किया। डॉ आर के पाठक मयंक ने नारी बिना है सृष्टि अधूरी, नारी की गरिमा पहचानें, सिम्मी सूद ने जिसका सबको था इंतजार शुभ घड़ी आज वो आई एवं मेरी मां मेरी शान, चंद्र स्वरूप बिसारिया सीता हर मन के अंदर है एवं मेरी हसरत कभी उसके तूं काबिल हो नहीं पाई तथा गज़ल मुहब्बत के वो दीवानों हमारे साथ आ जाओ सुनाकर शमां बांधा।मुख्य अतिथि को भी मुख्य संपादक निर्मेष त्यागी वत्स द्वारा अंकुर साहित्य परिवार की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। उक्त विशाल कार्यक्रम के संयोजन में अंकुर परिवार के मुख्य आयोजक निर्मेेश त्यागी वत्स, संयोजक सुनीता सोनू, आयोजक रचना जैन रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में रोहित मिश्र यादवेन्द्र आर्य एवं मनीष जैन मौजी ने सफलतम प्रयास किए। कार्यक्रम का संचालन विषयगत उद्धरणों, कविताओं, कहानियों एवं प्रसंगों के माध्यम से राजदीप सिंह ने करके शमां को बनाया एवं श्रोताओं को बांधे रखा।