✍️ योगेश राणा
न्यूज़ डायरी,नोएडा।
बाल शल्य चिकित्सा विभाग ने एक अत्यंत गंभीर अवस्था में भर्ती नवजात शिशु का सफल उपचार कर उसे पूर्णतः स्वस्थ अवस्था में घर भेज दिया है। यह मामला न केवल चिकित्सकीय दृष्टि से चुनौतीपूर्ण था, बल्कि टीम के समर्पण, कौशल और निरंतर देखभाल का अद्वितीय उदाहरण भी है।
जन्म से ही गंभीर बीमारी से जूझ रहा था नवजात
जानकारी के अनुसार लगभग 1900 ग्राम वजन वाला यह पुरुष नवजात लगभग एक माह पहले अस्पताल के बाल शल्य चिकित्सा विभाग में लाया गया था। शिशु को पोस्टेरियर यूरेथ्रल वाल्व (Posterior Urethral Valve) नामक जन्मजात विकृति थी, जिसमें मूत्रनली के निचले भाग में अवरोध होने के कारण शिशु मूत्र का निष्कासन नहीं कर पाता। इस अवरोध ने शिशु की दोनों किडनियों की कार्यक्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया था।
इसके परिणामस्वरूप शिशु को
:- तीव्र मेटाबोलिक एसिडोसिस
:- इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन
:- तथा श्वसन कष्ट
जैसे गंभीर लक्षण उत्पन्न हो गए थे।
इन सब समस्याओं को देखते हुए शिशु को तुरंत गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में ले जाकर जीवन रक्षक उपचार दिया गया। मूत्र मार्ग पूर्णत: अवरुद्ध होने और शिशु का आकार अत्यंत छोटा होने की वजह से डॉक्टरों ने तत्काल निर्णय लेते हुए शिशु के मूत्राशय से सीधे मूत्र निकाला। इससे उसकी हालत स्थिर हुई।इसके बाद 24 घंटे के भीतर डाइवर्जन शल्य चिकित्सा की गई, जिसने शिशु की किडनी को आगे के नुकसान से बचाया।
बच्चे में थी कई जन्मजात असामान्यताएँ
चिकित्सकों के अनुसार यह मामला विशेष रूप से जटिल था, क्योंकि इस नवजात में एक साथ कई जन्मजात विकृतियाँ मौजूद थीं
- लेफ्ट टू राइट क्रॉस्ड फ्यूज्ड रीनल एक्टोपिया (दोनों किडनियाँ शरीर के दाईं ओर स्थित)
- मेरुदंड दोष
- जीभ का बंधन (टंग टाई)
- नेत्र निस्टैग्मस
- हल्की हृदय संबंधी विकृति
इन जटिलताओं के कारण उपचार एक गंभीर चुनौती बन गया था।
लगातार एक माह तक विशेष चिकित्सकीय देखभाल
नवजात शिशु को नवजात शल्य चिकित्सा गहन चिकित्सा इकाई (Neonatal Surgical ICU) में लगभग एक माह तक लगातार निगरानी और देखभाल में रखा गया। डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल कर्मियों तथा अन्य विशेषज्ञों के सामूहिक प्रयास से शिशु धीरे-धीरे पूर्णतः स्वस्थ होता गया।अब शिशु का वजन नियमित रूप से बढ़ रहा है, वह ठीक से दूध पी रहा है और उसकी किडनी की कार्यक्षमता सामान्य स्थिति में लौट रही है। चिकित्सक टीम ने दो दिन पूर्व शिशु को स्वस्थ होने के बाद छुट्टी दे दी है।
विभाग ने टीमवर्क और समर्पण को दिया श्रेय
बाल शल्य चिकित्सा विभाग की टीम ने कहा “यह उपलब्धि विभाग की सामूहिक मेहनत, समर्पण और आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का परिणाम है। ऐसे संवेदनशील मामलों में त्वरित निर्णय और निरंतर आईसीयू मॉनिटरिंग जीवन रक्षक साबित होती है।”