बच्चे बने हैं राधा या कृष्ण, तो याद रहे ये बात 

नई दिल्ली।

आज पूरे देश मे जन्माष्टमी का त्यौहार बड़ी ही धूम धाम से मनाया जा रहा है। ऐसे में छोटे बड़े सभी मंदिरों को खूब सजाया गया है। चारों तरफ कृष्ण भक्ति की धूम है। जगह जगह झांकियां सजाई गई हैं। ऐसे में अधिकांश परिवारों में छोटे बच्चों को राधा या कृष्ण की पोशाक पहनकर सजाया गया है। घरों में , गलियों में, बाजारों में या मंदिरों में नन्हे कान्हा , राधा और गोपियां भक्तों को मोह रहे हैं । बच्चों को भगवदरूप में सजाने के बाद परिजनों को कुछ बातों का विशेष ध्यान देना होता है। 

जैसा स्वरूप- वैसा हो भाव:

अधिकांश घरों में बच्चों को कान्हा या राधा का रूप तो दे दिया जाता है , लेकिन उन्हें सिर्फ फ़ोटो लेने के बाद ऐसे ही नज़रंदाज़ कर दिया जाता है। जानकारों की माने तो बच्चे पहले ही भगवान का रूप होते हैं । ऐसे में उन्हें भगवान का स्वरूप देना और भी आनंददायक हो जाता है। किसी भी रूप में तैयार बच्चों को पूरे भाव के साथ अपने से ऊंचे स्थान पर साफ सुथरे आसन बिठा कर उसकी उसी भाव से पूजा करंज चाहिए। यहीं नहीं उसे भोग या उपहार भी उसी भाव से देना चाहिए , जिस भाव से भगवान की मूर्ति या चित्र को देते हैं।