फिर चला मोदी मैजिक, अब G-20 हुआ G-21

पीएम मोदी की पहल पर अफ्रीकिन यूनियन को मिली सदस्यता

नई दिल्ली।

जी20 ग्रुप की मेजबानी में भारत के नाम एक नई उपलब्धि जुड़ गई है। शनिवार को इस 2 दिवसीय सम्मेलन का अदभुत शुभारंभ हुआ।  सम्मेलन का पहला सेशन ‘वन अर्थ’ थीम पर आधारित रहा, जबकि दूसरा सेशन ‘वन फैमिली’ पर आधारित है।

पहले सेशन की शुरुआत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक नेताओं का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि, “जी20 की कार्यवाही शुरू करने से पहले, मैं मोरक्को में भूकंप के कारण हुई जानमाल के नुकसान पर अपनी संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं। हम प्रार्थना करते हैं कि सभी घायल जल्द से जल्द स्वस्थ्य हों। भारत इस कठिन समय में मोरक्को को हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।”

इसके बाद उन्होंने कहा कि, “आप सबकी सहमती से आगे की कार्रवाई शुरू करने से पहले मैं अफ्रीकन यूनियन अध्यक्ष को जी 20 के स्थाई सदस्य के रूप में अपना स्थान ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करता हूं।” और इसी के साथ पीएम मोदी ने अफ्रीकन यूनियन (एयू) को जी20 का परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव पास किया। इस पर समिट में पहुंचे अफ्रीकन यूनियन के हेड ने अजाली असोमानी ने पीएम को गले लगा लिया। अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता मिलने के बाद अब से जी20 को जी21 कहा जाएगा। 

क्या है अफ्रीकन यूनियन:

दरअसल अफ्रीकन यूनियन 55 अफ्रीकी देशों का संगठन है। अफ्रीका महाद्वीप के सभी देश इसके सदस्य हैं। आधिकारिक रूप से इसकी शुरुआत साल 2002 में हुई थी। साल 2004 में यूरोपियन यूनियन की तरह अफ्रीकन यूनियन ने भी एक पार्लियामेंट बनाया। इस पार्लियामेंट में अफ्रीकी देशों के मुद्दों पर चर्चा होती है। आने वाले सालों में अफ्रीकन यूनियन ने शांति और सुरक्षा परिषद, वित्तीय संस्थान, मानवाधिकार और न्यायिक संस्थान भी स्थापित किए। इस यूनियन की अध्यक्षता हर साल बदलती रहती है। अभी कोमोरोस के राष्ट्रपति अजाली असौमानी यूनियन के अध्यक्ष हैं। 

क्या होगा इसका असर:

विदेश मामलों से जुड़े शिक्षाविदों व जानकारों की माने तो अफ्रीकन यूनियन के शामिल होने से भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी मजबूत होगी। भारत का ज्यादातर अफ्रीकी देशों के साथ संबंध अच्छा है। भारत जी20 की अध्यक्षता मिलने के बाद से अफ्रीकन यूनियन को शामिल करवाने की वकालत कर रहा था। अब इसके जुड़ने से भारत की छवि एक ग्लोबल लीडर की तरह उभर कर सामने आई है।  इससे मेसेज जाता है कि भारत ध्रुवीकरण को तोड़कर विकासशील देशों की बराबरी की बात कर रहा है।