Presidential Election : यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति पद के लिए किया नामांकन

:- यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति पद के लिए किया नामांकन
:- राहुल और अखिलेश संग कई दिग्गज रहे मौजूद


नई दिल्ली :- विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने सोमवार को संसद भवन में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव, एनसीपी के प्रमुख शरद पवार समेत विपक्ष के अन्य नेता मौजूद रहे। राष्ट्रपति पद के लिए यशवंत सिन्हा का मुकाबला एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से है। बता दें कि एक दर्जन से अधिक विपक्षी दलों ने बीते मंगलवार को यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। फिलहाल राष्ट्रपति के चुनाव 18 जुलाई को होने हैं।
बता दें कि इससे पहले यशंवत सिन्हा ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालयों को फोन कर चुनाव के लिए समर्थन भी मांगा था। उन्होंने विपक्षी दलों के सभी नेताओं को एक पत्र भी लिखा।

ट्वीट कर बताई अपनी मंशा


यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया कि राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए मुझे अपने आम उम्मीदवार के रूप में चुनने के लिए उनका धन्यवाद। मैं वास्तव में सम्मानित हूं। संविधान की रक्षा करना हमारा गंभीर वादा, प्रतिज्ञा और प्रतिबद्धता है।

प्रोफेसर, आईएएस, मंत्री और राष्ट्रपति उम्मीदवार

प्रोफेसर से लेकर आईएएस(IAS) और मंत्री से अब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने यशवंत सिन्हा ने अपने हर पड़ को बखूबी निभाया है। अपने आदर्शों और फैसलों के लिए इनको आज भी जाना जाता है। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना से प्राप्त कर 1958 में राजनीति शास्त्र में अपनी M.A (स्नातकोत्तर) डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक इसी विषय की शिक्षा दी। यशवंत सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सेवा में 24 से अधिक वर्ष तक रहे। इस दौरान इन्होंने सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट, बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में अवर सचिव तथा उप सचिव, भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव आदि पदों पर कार्य किया।


1971 से 1973 के बीच उन्होंने (बॉन) जर्मनी के भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव (वाणिज्यिक) के रूप में तथा 1973 से 1974 के बीच फ्रैंकफर्ट में भारत के कौंसुल जनरल के रूप में काम किया। उन्होंने बिहार सरकार के औद्योगिक आधारभूत सुविधाओं के विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर) तथा भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय में काम किया। जहां वे विदेशी औद्योगिक सहयोग, प्रौद्योगिकी के आयात, बौद्धिक संपदा अधिकारों और औद्योगिक स्वीकृति के मामलों के लिए जिम्मेदार थे। 1980 से 1984 के बीच भारत सरकार के थल परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में सड़क परिवहन, बंदरगाह और जहाजरानी (शिपिंग) उनके प्रमुख दायित्वों में शामिल थे।

यहां से शुरू हुआ सियासी सफर


यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में राजनीति से जुड़ गए। 1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया।1989 में जनता दल के गठन होने के बाद उनको पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया। उन्होंने चन्द्र शेखर के मंत्रिमंडल में नवंबर 1990 से जून 1991 तक वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। 1998 में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उस दिन से लेकर 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे। 2004 के चुनाव में हजारीबाग सीट से यशवंत सिन्हा की हार के बाद उन्होंने 2005 में फिर से संसद में प्रवेश किया। 13 जून 2009 को उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
मार्च 2021 को सिन्हा ”ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस” में शामिल होकर दोबारा राजनीति में आ गए। टीएमसी (TMC) में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया।

मोदी सरकार के खिलाफ पहुंचे थे सुप्रीम कोर्ट


अपने बगावती तेवर के मशहूर सिन्हा ने एक बार मोदी सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाकर सबको चौंका दिया था। बात अक्टूबर 2018 की है,जब भाजपा के बड़े नेताओं में शुमार रहे अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण के साथ यशवंत सिन्हा मोदी सरकार के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। तीनों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर मोदी सरकार के दौरान राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। इसके साथ ही राफेल मामले में मोदी सरकार के खिलाफ सीबीआई (CBI) में केस दर्ज कराने की मांग की थी। यशवंत सिन्हा के इस बागी तेवर को देखकर हर कोई हैरान रह गया था।

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