Noida News : नोएडा के किसान 3 जुलाई को करेंगे डीएम का घेराव

:- किसानों की मांगों पर हाईपावर कमेटी ने अब तक क्या किया उसकी लेंगे रिपोर्ट

नोएडा :- मांगों को लेकर किसान एक बार फिर सड़क पर उतरने को तैयार है। इस बात की जानकारी 1 जुलाई को नोएडा वीडियो क्लब में प्रेस वार्ता कर संयुक्त किसान मोर्चा ने दी। उन्होंने बताया कि 3 जुलाई को गौतमबुद्ध नगर के डीएम का घेराव करेंगे। दरअसल चुनाव से पहले एनटीपीसी और नोएडा -ग्रेटर नोएडा किसानों की मांगों को लेकर एक हाइपावर कमेटी बनाई गई थी। जिसके अध्यक्ष राजस्व परिषद के अध्यक्ष थे। हाइपावर कमेटी में डीएम को सदस्य बनाया गया था। भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर ख़लीफ़ा ने बताया कि दिल्ली कूच आंदोलन को रुकवा कर हाइपावर कमेटी बनाई गई थी। आश्वासन दिया था कि तीन महीने में मांगों का समाधान किया जाएगा। इसकी रिपोर्ट आपको दी जाएगी। चार महीने बीत जाने के बाद भी एनटीपीसी के किसानों की मांग पर एक बार बैठक की गई। इससे एनटीपीसी के किसानों में आक्रोश है। वहीं नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के किसानों की मांग पर भी अब तक जवाब नहीं आया। इसलिए बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि 3 जुलाई को डीएम आवास का घेराव किया जाएगा। इसमें हजारों की संख्या में नोएडा ग्रेटरनोएडा ओर दादरी के किसान मौजूद रहेंगे। घेराव के बाद डीएम से अब तक किए गए कार्य के बारे में पूरी रिपोर्ट मांगी जाएगी। इसके बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने किसानों के साथ धोखा किया है। अब तक उनकी एक भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। जरूरत पड़ने पर दिल्ली जाने की तैयारी भी रहेगी।


इन मांगों पर हुआ था समझौता
1997 के बाद के सभी किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा दिया जाए। चाहे वह कोर्ट गए हो या नहीं किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए।
आबादी जैसी है वैसी छोड़ी जाए। विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाकर 1000 प्रति वर्गमीटर किया जाए।
भूमि उपलब्धता न होने के कारण पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड भूलेख विभाग में नहीं रोके जाएंगे। उनका नियोजन किया जाए।
भवनों की ऊंचाई को बढ़ाए जाने की अनुमति दी जाए। क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाइराइज इमारत है। ऐसे में उनका एरिया लो लेयिंग एरिया में आ गया है।
5 प्रतिशत विकसित भूखंडों पर व्यवसायिक गतिविधियां चलने की अनुमति दी जाए।
गांवों के विकास के साथ खेल बजट का प्राविधान किया जाए।
गांवों में पुस्तकालय बनाए जाए।