Desk report :- प्रकरण के अनुसार विधानसभा में तत्कालीन मुख्य सचेतक महेश जोशी ने 10 जून 2020 को एसीबी मेें रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि राजस्थान में चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार को गिराने का प्रयास निर्दलीय विधायकों को प्रलोभन देकर किया जा रहा है। इस संबंध में जोशी ने एक पैन ड्राइव एसीबी को सौंपा। इस पैन ड्राइव में तत्कालीन विधायक और अब दिवंगत भंवरलाल शर्मा, संजय जैन और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के बीच बातचीत बताई गई। इसमें इस बातचीत में तीनों सरकार गिराने और पैसे के लेन-देन की बात कर रहे हैं। एसीबी ने संजय जैन को गिरफ्तार कर लिया। एसीबी ने अदालत से जैन की आवाज का नमूना लेने का आदेश के प्राप्त कर लिया, लेकिन जैन ने नमूना देने से इनकार कर दिया। बाद में जांच अधिकारी आलोक शर्मा ने केन्द्रीय मंत्री शेखावत की आवाज का नमूना लेने की इजाजत देने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका लगाई।
यह याचिका सुनवाई के लिए किराया अधिकरण, जयपुर महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत में आई। इस अदालत ने 15 जुलाई 21 को एसीबी की याचिका निरस्त कर दी और आवाज का नमूना लेने की अनुमति नहीं दी। इस आदेश के खिलाफ एसीबी ने अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में निगरानी याचिका लगाई।
इस याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत में शेखावत की ओर से कहा गया कि चूंकि एसीबी का आदेश इंटरलॉकेटरी है, यानी अदालती कार्यवाही के बीच में दिया गया है। इसलिए आवाज का नमूना नहीं लिया जा सकता। दूसरा, जिस पैन ड्राइव की बातचीत को भंवरलाल, संजय जैन और गजेन्द्र सिंह की बताया जा रहा है, उस पैन ड्राइव की बातचीत का मूल स्त्रोत पता नहीं है। तीसरा चूंकि आरोपी न तो पहले गिरफ्तार हुआ है और न ही गिरफ्तार है। इसलिए भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार वॉयस सैंपल नहीं लिया जा सकता।
दोनों पक्षों की सुनवाई के दौरान अदालत ने माना कि भादसं की धारा 53, 53ए और 311ए में गिरफ्तार व्यक्ति के लेख या हस्ताक्षर का नमूना लिया जा सकता है, लेकिन वह भी तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि वह गिरफ्तार नहीं किया गया हो। आवाज का नमूना लेने की कोई संहिताकृत विधि विद्यमान नहीं है। दूसरी बात यह भी कही गई कि एसीबी ने विधायक भंवरलाल के जीवित रहते उनकी आवाज का नमूना नहीं लिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि समग्र परिस्थितियों के परिपे्रक्ष्य में इस न्यायालय की राय में अधीनस्थ न्यायालय द्वारा निगरानीकार द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को निरस्त करने का जो आदेश पारित किया गया है, वह आदेश शुद्धता, वैधता और औचित्य की कसौटी के अनुरूप होकर विधिनुसार पारित किया गया है। याचिका पोषणीय नहीं है। अत: निगरानीकार (एसीबी) की याचिका निरस्त की जाती है।
जांच एजेंसियां सरकार के दबाव में : शेखावत
न्यायालय के आदेश पर बाड़मेर में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि जांच एजेंसियां राज्य सरकार के दबाव में काम कर रही हैं। जब ट्रायल कोर्ट ने मेरी आवाज का नमूना लेने के प्रार्थना पत्र को यह कहकर खारिज कर दिया था कि इस मामले में अदालत को टूल नहीं बनाया जाना चाहिए। इसके बाद भी एक साल की शांति के बाद सरकार ने दबाव डालकर एसीबी से अपील करवाई। अतिरिक्त जिला न्यायायल ने वह अपील भी आज खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त भी जितने भी प्रकरण चल रहे हैं, उन सभी में उनकी जीत होगी।