DELHI AIIMS : एम्स ओपीडी में अगले महीने से दिखाने के नहीं लगेंगे पैसे, 300 रुपये तक की जांच भी निशुल्क

HIGHLIGHTS

:- एम्स में ओपीडी और ₹300 तक की जांच हुई निशुल्क

:- ओपीडी (OPD) में स्क्रीनिंग शाम 5 बजे तक चलेगी

:- कर्मचारियों के लिए बनेगी केवल ई-पर्ची

नई दिल्ली :- देश के सबसे बड़े और भीड़-भाड़ वाले अस्पतालों का नाम लें तो दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स (AIIMS) का नाम शायद सबसे पहले आए। यहां कश्मीर से कन्याकुमारी और अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक के रोगी अपने इलाज के लिए आते हैं। यहां ओपीडी आदि में डॉक्टर को दिखाने के लिए रात से ही लम्बी लाइनें लग जाती हैं। कई लोग तो एम्स बिल्डिंग के बाहर फुटपाथ पर अस्थाई आसरा तक बसा लेते हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज गरीब परिवार और दूरदराज के क्षेत्रों से आते हैं।

एम्स में ओपीडी और ₹300 तक की जांच हुई निशुल्क

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में अब ओपीडी में दिखाने के पैसे नहीं लगेंगे। एम्स प्रशासन ने पर्ची बनवाने के लिए लगने वाले 10 रुपये के शुल्क को माफ कर दिया है। इसके अलावा यहां उपचार करवाने वाले मरीजों को 300 रुपये तक तक के सभी उपयोगकर्ता शुल्क को समाप्त कर दिया गया है। यह फैसला पहली नवंबर से लागू होगा। इससे पहले 19 मई को एक आदेश जारी कर एम्स प्रशासन ने 300 रुपये तक की सभी जांच निशुल्क कर दी है।

ओपीडी (OPD) में स्क्रीनिंग शाम 5 बजे तक चलेगी

एम्स प्रशासन के द्वारा एक नोटिफिकेशन के अनुसार, ओपीडी में मरीजों का पंजीकरण सभी कार्य दिवसों में सुबह 8 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक किया जाएगा। इसके बाद भी किसी भी मरीज को बिना परामर्श ओपीडी से नहीं भेजा जा सकेगा। दोपहर एक बजे के बाद बारी-बारी से विभिन्न विभागों के रेजिडेंट के साथ स्क्रीनिंग ओपीडी शाम 5 बजे तक चलेगी।

 

कर्मचारियों के लिए बनेगी केवल ई-पर्ची

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाएं संस्थान के कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए ईएचएस ओपीडी में अब केवल ई-पर्ची ही बनेगी। इन पर्ची को ओपीडी में बैठे डॉक्टर अपने लॉगिन से ही बना सकेंगे। ऐसे में कर्मचारियों को पर्ची बनाने के लिए परेशान नहीं होना होगा। वहीं, उनका पूरा ब्योरा भी डॉक्टर के एक क्लिक पर होगा। एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एम्स को पूरी तरह से डिजिटल बनाने की दिशा में यह एक कदम है। संभावना है कि आने वाले दिनों में इस कोशिश को अन्य मरीजों की पर्ची पर भी लागू किया जा सकता है। ऐसा होने के बाद मरीजों को पर्ची बनाने के लिए लाइन में लगने की जरूरत नहीं होगी। वहीं, मरीज की पूरी केस हिस्ट्री भी डॉक्टर के पास होगी। उसे पुरानी पर्ची पर निर्भर नहीं होना होगा। यदि एम्स पूरी तरह डिजिटल हो जाता है तो उससे मरीज और हॉस्पिटल प्रशासन दोनों को राहत मिलेगी।