:- दुनिया की इकलौती फैसिलिटी होगी जहां ओटीटी को मिलेगी जगह
:- फिल्म सिटी नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के बाद इस क्षेत्र की सबसे बड़ी परियोजना
नोएडा :- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट यमुना फिल्म सिटी का एकबार फिर ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया गया है। इस बार भारत समेत एशिया, यूरोप और अमेरिका के देशों में यह टेंडर जारी किया गया है। आपको बता दें कि यह दुनिया की इकलौती फिल्म सिटी होगी, जहां ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अलग जगह दी जाएगी। यमुना फिल्म सिटी में बड़े पर्दे, टेलीविजन और ओटीटी को लेकर अलग-अलग सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
राज्य सरकार ने ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे अपनी फिल्म सिटी बनाने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया है। यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने बोली लगाने के लिए अपने दस्तावेजों में कई बदलाव किए हैं। आपको बता दें कि फिल्म सिटी नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के बाद इस क्षेत्र की सबसे बड़ी परियोजना है। यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र के सेक्टर.21 में 1000 एकड़ में बनने वाली फिल्म सिटी के लिए गुरुवार को राज्य मंत्रिपरिषद ने संशोधित निविदा एवं रियायत समझौता मसौदे को मंजूरी दी थी।
यमुना अथॉरिटी के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह ने बताया
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ अरुणवीर सिंह ने बताया कि शनिवार को प्रमुख भारतीय शहरों के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर में एक नया वैश्विक टेंडर जारी किया गया है। यह विज्ञापन तीनों देशों के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाया गया है। अरुणवीर सिंह ने आगे कहा पिछली निविदा की प्रतिक्रिया में कमी थीं। अब बोली दस्तावेज में कई बदलाव किए गए हैं। कंसेशन पीरियड और निर्माण योजना में बदलाव किए गए हैं। इसके अलावा ओटीटी प्लेटफार्म और वीएफ एक्स स्टूडियो जैसी नई संस्थाओं को अपने कार्यालय स्थापित करने की अनुमति दी गई है। यह दुनिया की इकलौती फिल्म सिटी होगी, जहां ओटीटी और वीएफ एक्स को जगह दी जा रही है। आपको बता दें कि यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के पास पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर फि ल्म सिटी का निर्माण प्रस्तावित है। सरकार ने पिछले नवंबर में एक रियायतग्राही को चुनने के लिए निविदा जारी की थी। बोली प्रक्रिया शुरू करने से पहले एक बैठक आयोजित की थी। जिसमें लगभग 20 कंपनियों ने भाग लिया था। इस साल जनवरी में राज्य कैबिनेट ने डीबीटी डिजाइन, बिल्ड, ऑपरेट, ट्रांसफर के आधार पर लागू होने वाले इस प्रोजेक्ट के टेंडर को मंजूरी दी थी। समय सीमा तीन बार बढ़ाई गई, लेकिन सिर्फ एक कंपनी ने आवेदन किया। आठ सदस्यीय सार्वजनिक निजी भागीदारी पीपीपी बोली मूल्यांकन समिति ने जुलाई में इस बोली को रद्द कर दिया। क्योंकि वह एक कम्पनी भी कंपनी आवश्यक दस्तावेज जमा करने और निविदा फार्म के साथ बयाना राशि जमा करने में विफल रही थी।
परियोजना में 5 व्यापक बदलाव किए गए हैं
निवेशकों, हितधारकों और भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई से सुझाव लिए गए। इन सुझावों के आधार पर सरकार ने शर्तों में संशोधन करने का फैसला किया। कुल मिलाकर प्रोजेक्ट में पांच बड़े बदलाव किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं।
1. निवेशकों द्वारा निविदा प्रक्रिया में भाग नहीं लेने के मुख्य कारणों में से एक रियायत अवधि पर केवल 40 साल की सीमा थी। इसे बढ़ाकर 60 साल कर दिया गया है। इसे 30 साल और बढ़ाने का प्रावधान है। मतलब, फि ल्म सिटी डेवलप करने वाला प्राइवेट पार्टनर 90 वर्षों तक यहां कारोबार कर सकेगा।
2. एक और बड़ा बदलाव यह है कि राज्य सरकार परियोजना को डिजाइन करने से दूर हो रही है। अब छूटग्राही को अपने ढंग से पूरे प्रोजेक्ट को डिजाइन करने का अधिकार मिलेगा।
3. अनुमानित लागत को 10000 करोड़ रुपये से संशोधित करके 7210 करोड़ रुपये भूमि पर खर्च घटाकर कर दिया गया है।
4. परियोजना को सार्वजनिक,निजी,भागीदारी मॉडल पर विकसित किया जाएगा। एक डेवलपर की तकनीकी, वित्तीय योग्यता और अनुभव आवश्यकताओं में भी संशोधन किए गए हैं।
5. परियोजना में ओटीटी और वीएफ एक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों व प्लेटफॉर्म्स को अलग जगह देने का निर्णय लिया गया है।
फिल्म सिटी में मिलेंगी ये सुविधाएं
स्टूडियो, रिटेल मॉल, फ़िल्म इंस्टिट्यूट, इंफ्रास्ट्रक्चर, होटल रेस्तरां, बैकलॉट सेट, एम्यूजमेंट पार्क, आवासीय मकान, ऑफिस, बैकलॉट वर्क शॉप, बैकलॉट ओपन एरिया, विला बनाए जाएंगे। हाईटेक सुविधाओं से लैस होगी फ़िल्म सिटी जिसमें तकरीबन 5,500 करोड़ का खर्च आएगा।
यमुना अथॉरिटी को ऐसे मिलेगा फिल्म सिटी से रेवेन्यू
यमुना अथॉरिटी के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि फ़िल्म सिटी को हाइब्रिड मॉडल विकसित किया गया है। जिसके तहत फिक्स्ड रेवन्यू का हर साल 5 फीसद ग्रोथ रहेगा। रेवन्यू जनरेट होने पर उसमें प्रीमियम या रेवेन्यू शेयर जो ज़्यादा होगा वो अथॉरिटी को मिलेगा। प्रोजेक्ट की कॉस्ट 30-40 वर्ष में लागत निकलेगी, कन्सेशन पीरियड भी 40 वर्ष से ज़्यादा का रहेगा।