Noida : इंसान और जानवर का रिश्ता उतना ही गहरा और पवित्र है जितना आग का उसकी उष्मा से होता है

:- जानवरों पर क्रूर व्यवहार करने वालों के खिलाफ ऐसी कड़ी कानूनी कार्यवाही हो जो लोगों के लिए बने मिसाल:संजय महापात्रा

नोएडा :- शनिवार को नोएडा मीडिया क्लब में हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल्स द्वारा एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया इस प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए संस्था के संस्थापक संजय महापात्रा ने कहा की दुनिया में इंसान और जानवर का रिश्ता उतना ही गहरा और पवित्र है जितना दिया और बाती आग का उसकी उष्मा से होता है, जल का उसकी शीतलता से होता है और वायु का जीवनदायिनी प्रवाह से होता है। वो पशु-पक्षी ही थे जिन्होंने त्रेता युग में प्रभु राम की सेवा में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। द्वापर में जब सत्यवादी युद्धिष्ठर सशरीर स्वर्गारोहण के लिए निकले तो उन्हें एक कुते के अलावा और किसी का साथ नहीं मिला था। पशुओं और इंसानों के इसी रिश्ते को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा है- किसी राष्ट्र की महानता और उसकी नैतिकता का सबसे बड़ा पैमाना यही है कि वो पशुओं के साथ कैसा व्यवहार करता है ?

बेजुबान जानवरों के पास जुबां होती तो वो खुद इंसानों की क्रूरता को करते बयां : संजय महापात्रा

संजय महापात्रा ने कहां की आज हम पशुओं के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं? बेघर पशुओं के प्रति हमारा नजर और नजरिया क्या है ? आसपास के माहौल पर नजर दौड़ाइए, आपको जवाब मिल जाएगा। बेघर पशुओं के प्रति हमारी नफरत और क्रूरता अपने चरम पर पहुंच चुकी हैं। ईट, डंडे और पत्थर से उनपर हमले की बात पुरानी पड़ रही है, नया ट्रेंड एसिड और दूसरी जानलेवा केमिकल से उनपर हमले का है। बेघर जानवरों पर क्रूरता की ये कलंक कथा सुर्खियों में नहीं होती हैं क्योंकि मसला जिनका हैं, उनके पास जुबां नहीं हैं। विश्वास कीजिए, अगर बेजुबान जानवरों के पास जुबां होती और वो खुद इंसानों की क्रूरता को बयां करते तो हम सबको बहुत शर्मिंदगी उठानी पड़ती। तो फिर इस समस्या का समाधान क्या है? पशुओं के अधिकारों की रक्षा कैसे हो? उनपर होनेवाले अत्याचार कैसे बंद हों? House of Stray Animals India लंबे समय तक ऐसे सवालों पर विशेषज्ञों के साथ मिलकर राय विचार करता रहा है। हमारा मत हैं कि अगर सरकार और समाज कुछ जरूरी कदम उठा लें तो फिर बेघर पशुओं के अधिकारों की रक्षा हो सकती है।

बेघर पशुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार और समाज कुछ जरूरी कदम

  • दिल्ली में बेघर पशुओं की देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी एमसीडी और स्थानीय निकायों को दिया जाए। इस कार्य के लिए अलग से अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति हो जो ये सुनिश्चित करें कि दिल्ली जितनी आम आदमी के लिए है, उतनी ही बेघर पशुओं के लिए भी हैं
  • अच्छी से अच्छी योजना और अच्छे से अच्छे विचार बिना बजट के बेकार हो जाते हैं। लिहाजा बेघर पशुओं के देखभाल और उनकी सुरक्षा के लिए अलग से बजट का प्रावधान होना चाहिए और यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए पशुओं का बजट उनके कल्याण पर ही खर्च हो ।
  • यह सुनिश्चित किया जाए कि पशुओं को AWBI और PCA एक्ट के तहत मिले अधिकारों की रक्षा हो। इन ऐक्ट्स में आज की जरूरत के हिसाब से आवश्यक संशोधन किया जाए
  • दिल्ली और उसके आसपास के इलाके के सोसायटी फ्लैट में RWA अपनी मर्जी से पालतू पशुओं को लेकर कायदे कानून बना देते हैं जो अक्सर पशु अधिकारों के खिलाफ होते हैं। इस पर प्रशासन को रोक लगानी चाहिए

  • एनसीआर रीजन में पशु अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जाए और जो अस्पताल मौजूद हैं, उनमें जानवरों के इलाज की बेहतर व्यवस्था की जाए | जानवरों के ज्यादातर अस्पताल स्टॉफ और मेडिसीन की कमी से जूझ रहे हैं
  • दुर्घटना की सूरत में पशुओं के इलाज की तुरंत व्यवस्था की जाए। एनिमल एंबुलैंस की व्यवस्था की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि एक तय समय सीमा के भीतर घायल पशु तक मेडिकल सुविधा पहुंच जाएगी
  • वैक्सीनेशन में नई और वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाए ताकि पशुओं को कम से कम कष्ट हो
  • जो लोग पशुओं के खिलाफ क्रूर व्यवहार करते हैं, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। कुछ इस तरह की कार्रवाई जो दूसरों के लिए भी सबक बने ।
  • पशुओं के अधिकारों की रक्षा के मसले पर समाज को और ज्यादा सकारात्मक रूप से सामने आना चाहिए। हमारी सभ्यता और संस्कृति में पशु पक्षियों को जो आदर दिया गया हैं, उन्हें देवी देवताओं के साथ जो स्थान दिया गया है, वो दर्शाता है कि हम इंसानों का जिंदगी में उनकी क्या अहमियत हैं? समाज के बड़े बुजुगों को ये बातें नई पीढ़ी को समझानी चाहिए
  • स्कूल के पाठ्यक्रम में बेघर पशुओं की समस्या और उनके समाधान से जुड़े मुद्दे को शामिल किया जाना चाहिए। बच्चे वैसे भी पशुओं को लेकर संवेदनशनीत होते हैं। ऐसे में अगर वो मूल समस्या और उसके समाधान को आत्मसात कर लेंगे तो फिर वो पशु अधिकारों के सक्षम प्रहरी बनकर समाज के सामने आएंगे
  • पशु-पक्षी के अधिकारों और उनके खिलाफ हो रही क्रूरता के रोकथाम के लिए मीडिया को और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। अभी ये खबर तो आ जाती है कि एक पालतू कुते ने एक बच्चे को जख्मी कर दिया लेकिन ये खबर कहीं नहीं आती है कि इंसानों की पिटाई से एक कुत्ता तड़प तड़प कर मर गया