गौतम बुद्ध नगर
साइबर क्राइम पुलिस ने साइबर अपराध के बढ़ते खतरे के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें साइबर क्राइम के प्रचलित मामलों पर प्रकाश डाला गया है। नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण सावधानियां बताई गई हैं। इस एडवाइजरी में एक खास घोटाले की चेतावनी दी गई है। इसमें मोबाइल फोन या व्हाट्सएप पर अज्ञात या अंतरराष्ट्रीय नंबरों से कॉल आती हैं। इसमें कॉल करने वाला आमतौर पर खुद को कस्टम विभाग, नारकोटिक्स विभाग या सीबीआई का अधिकारी होने का दावा करता है। इसमें कस्टम विभाग, नारकोटिक्स विभाग या सीबीआई का अधिकारी होने का दावा करने वाला आरोपी फोन कर के कहता है कि प्राप्तकर्ता को संदिग्ध पैकेज में ड्रग्स, दस्तावेज, कपड़े, आधार कार्ड और सिम कार्ड मिले हैं। डिजिटल हाउस अरेस्ट में साइबर अपराधी लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डर पैदा करते हैं। इसमें साइबर क्रिमिनल अक्सर एआई-जनरेटेड वॉयस या वीडियो तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। साइबर क्राइम पुलिस ने अपने बयान में कहा कि कॉल करने वाले कहते हैं कि इन वस्तुओं का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग या हवाला लेनदेन के लिए किया गया था। प्राप्तकर्ता के बैंक खातों की जांच की जा रही है। कॉल करने वाला प्राप्तकर्ता को एफआईआर दर्ज करने और गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने की धमकी देता है। यही नहीं जालसाज अक्सर पीड़ित का विश्वास जीतने के लिए फर्जी विभागीय आईडी साझा करते हैं। फिर वे पीडि़़त को स्काइप या व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए कनेक्ट करने का निर्देश देते हैं। साइबर अपराधी पीड़ित को डराना धमकाना जारी रखते हैं। अपराधियों की ओर से पीड़ित को कानूनी जांच के बहाने अपने बैंक खातों से, फिक्स्ड डिपॉजिट समेत, घोटालेबाज के खातों में धनराशि स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया जाता है। सलाह में कहा गया है कि हाल के महीनों में, लगभग दस ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें स्नढ्ढक्र दर्ज की गई हैं। प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि ये साइबर अपराधी राजस्थान के जयपुर, भीलवाड़ा और बीकानेर से काम कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार, डिजिटल हाउस अरेस्ट के मामलों में शामिल गिरोह को ध्वस्त करने के प्रयास जारी हैं।