Chandrayaan 3 : चांद के साउथ पोल पर पहुंच भारत ने रचा इतिहास , बना यहां पहुंचने वाला पहला देश



नई दिल्ली :- बुधवार को भारत का डंका विश्व ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड में बज गया। भारत का चंद्रयान-3 बुधवार को इतिहास रचते हुए चांद के साउथ पोल पर लैंड कर गया। बता दें कि चांद के साउथ पोल पर अभी तक कोई नहीं पहुंचा था। भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है।
चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम के चंद्रमा पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा, “भारत चंद्रमा पर है।”

चंद्रयान का पहला सन्देश:
चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने ट्वीट किया कि चंद्रयान-3 मिशन का संदेश- मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं और आप भी। चंद्रयान-3 सफल रहा। चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के लिए पूरे देश को बधाई।”


पीएम मोदी बोले-अब चंदा मामा नहीं रहे दूर के :
विक्रम लैंडर की लैंडिंग के लाइव टेलीकास्ट में पीएम मोदी भी दक्षिण अफ्रीका से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसरो के केंद्र से जुड़े हुए थे। पीएम मोदी ने पूरे देश को बधाई देते हुए कहा कि जब हम ऐसे ऐतिहासिक क्षण देखते हैं तो हमें बहुत गर्व होता है। ये नए भारत का सूर्योदय है। हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया। भारत अब चंद्रमा पर है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि इससे पहले कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक नहीं पहुंचा है। हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत से हम वहां तक पहुंचे हैं। भारत का सफल चंद्रमा मिशन अकेले भारत का नहीं है। यह सफलता पूरी मानवता की है। कभी कहा जाता था चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे चंदा मामा बस एक टूर के हैं।
चंद फतेह के बाद अब सूरज की बारी:
चांद पर फतह के बाद अब इसरो (ISRO) की नजरें सूरज पर हैं। इसरो का अगला मिशन आदित्य एल-1 जिसमें सूरज की स्टडी की जाएगी। सूर्य का अध्ययन करने वाला ये पहला भारतीय मिशन होगा। इस मिशन में अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु-1 (एल-1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा (होलो ऑर्बिट) में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। एल-1 बिंदु ऐसी जगह है जहां ग्रहण का असर नहीं पड़ता और यहां से सूर्य को लगातार देख पाते हैं। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा। अंतरिक्ष यान सूर्य की विभिन्न परतों का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा। इस मिशन के जरिए सूर्य की गतिविधियों को समझने में ज्यादा आसानी रहेगी. मिशन आदित्य एल-1 सितंबर 2023 में लॉन्च किए जाने की संभावना है।