जानिए लूलू से लूलू मॉल तक की कहानी


लखनऊ से ग्रेटर नोएडा तक लूलू का भरपूर निवेश


लखनऊ/ग्रेटर नोएडा:- पिछले दिनों देश के सबसे बड़े मॉल बताए जा रहे लूलू मॉल का उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में विधिवत शुभारंभ हुआ। इतना बड़ा मॉल और प्रदेश की इस बड़ी उपलब्धि को बाकायदा सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फीता काटकर आम जनता के लिए सुचारू किया। यहां तक तो सब ठीक था। मॉल की चर्चा राजधानी या आस पास हुई। लेकिन अचानक से यहां भी कुछ लोगों ने धार्मिक रंग देकर इसे पूरी तरह चर्चा में ला दिया। जहां अरबों रुपए के निवेश और रोजगार के असीमित अवसरों की खबरें होनी थीं,अब वहां कुछ लोगों ने नमाज पढ़कर उसे हिन्दू -मुस्लिम और नमाज़ व हनुमान चालीसा की चर्चाओं से लबरेज कर दिया। देखते ही देखते इसके बॉयकॉट की मांग होने लगी। लेकिन इन सब जो सबसे बड़ा फायदा कम्पनी को हुआ,वो उसकी फ्री पब्लिसिटी का। इन विवादों के बीच लोगों को सर्वाधिक आकर्षक इसका नाम ‘लूलू’ लगा। लूलू सुनते ही लोगों ने इस नाम की पूरी कहानी व मतलब जानने के लिए खूब सर्च मारा। नतीजा ये कि इस मॉल पर फुटफॉल दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।

ये लूलू की कहानी:

लूलू ग्रुप के मालिक यूसुफ अली


आपको बता दें कि लूलू ग्रुप के मालिक युसुफ अली एमए हैं। यूसुफ अली यूएई बेस्ड भारतीय कारोबारी हैं। यूसुफ अली की पैदाइश साल 15 नवंबर 1955 में केरल के त्रिशूर जिले के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्होंने व्यवसाय प्रबंधन और प्रशासन में डिप्लोमा किया। साल 1973 में यूसुफ हिंदुस्तान छोड़कर अबूधाबी चले गए थे। यहां पर लुलु ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष एमके अब्दुल्ला पहले से कारोबार कर रहे थे। एमके अब्दुल्ला यूसुप अली के चाचा हैं। यूसुफ ने इस कंपनी के साथ जुड़कर हाइपरमार्केट को लॉन्च करके सुपरमार्केट बिजनेस में एंट्री ली। इससे UAE के खुदरा इलाकों में बड़ी तब्दीली देखने को मिली। सुपरमार्केट में घरेलू किराने की चीजें शामिल थीं। यह ग्रुप भारत के बाहर भारतीयों को सबसे बड़ी तादाद में रोजगार देता है। फोर्ब्स मिडिल ईस्ट के मुताबिक युसुफ अली साल 2018 में अरब वर्ल्ड में भारतीय व्यापारियों की लिस्ट में पहले नंबर पर थे।

भारतीयों के लिए खोला अंतिम संस्कार केंद्र:


लुलु ग्रुप के चेयरमैन यूसुफ अली अपनी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा भलाई के कामों में इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने दुबई केयर फंड्स के साथ मिलकर गाजा व नेपाल में कई स्कूलों को अपनाया। उन्होंने शारजाह में भारतीयों के लिए अंतिम संस्कार केंद्र खोला। जो 8.3 एकड़ में फैला हुआ है।
भारत में हैं 5 मॉल:


200 करोड़ रुपये की लागत से लखनऊ में बना लूलू ग्रुप का यह मॉल हिंदुस्तान में पांचवां मॉल है। इससे पहले कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरू और त्रिशूर में लुलु ग्रुप मॉल बनवा चुका है।

लूलू का अर्थ:


खुलने के बाद से ही लूलू शब्द काफी चर्चा में है। साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि मॉल के लिए यह नाम क्यों चुना गया है। दरअसल ‘लूलू ग्रुप इंटरनेशनल’ एक फेमस मल्टीनैशनल कंपनी है। इस मॉल का हेडक्वार्टर संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में है। बताया जाता है कि ‘लूलू’ एक अरबी शब्द है जिसका मतलब ‘पर्ल’ अर्थात ‘मोती’ होता है। इसी के नाम ग्रुप का नाम रखा गया है।

ग्रेनो में 500 करोड़ में बनेगा फ़ूड पार्क:

लूलू ग्रुप के साथ ग्रेटर नोएडा के फ़ूड पार्क के एमओयू के दौरान ग्रेटर नोएडा के तत्कालीन सीईओ नरेन्द्र भूषण


लखनऊ के बाद लूलू जल्द ही ग्रेटर नोएडा में भी एक फ़ूड पार्क शुरू करने वाला है। ग्रेटर नोएडा के सेक्टर इकोटेक 10 में लूलू ग्रुप 20 एकड़ में प्रोसेसिंग फूड पार्क बनाने जा रहा है। 500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला ये प्रदेश के सबसे बड़े फूड पार्क होगा। ऐसा माना जा रहा है कि इसके बनने से यहां के युवाओं और किसानों को फायदा होगा। इस फूड प्रोसेसिंग पार्क से युवाओं को 700 प्रत्यक्ष और 1000 अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। इस फूड पार्क से फलों एवं सब्जियों को अत्याधुनिक तकनीक से प्रोसेस करके उनकी पैकेजिंग कर निर्यात किया जाएगा। यह पार्क 20 हजार मीट्रिक टन स्टोरेज की क्षमता का होगा। इसमें दूध, कृषि एवं रेडी टू ईट वाले पैकिंगफूड उत्पाद को सुरक्षित किया जा सकेगा। यहां से अधिकतर उत्पाद मध्य एशियाई देशों में निर्यात किये जाएंगे।

लूलू मॉल लखनऊ की खास बातें:


लखनऊ के इस मॉल में 1600 लोग फूड कोर्ट में एक साथ बैठ सकते हैं।
50,00 लोग एक साथ शॉपिंग कर सकते हैं।
मॉल में 11 स्क्रीन का सुपरप्लेक्स लगे हैं।
मॉल में 15 रेस्टोरेंट और 25 आउटलेट का फूड कोर्ट है।
मॉल में मल्टी लेनर कार पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है। जिसमें 3,000 गाड़ियां एक वक्त पर पार्क की जा सकती हैं।

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