28 मार्च को श्रम शक्ति भवन पर धरना देंगे पेंशनर्स : कमांडर अशोक

:- ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति की मांग न्यूनतम पेंशन 7500 रू महीना हो

:- लगभग 70 लाख रिटायर कर्मचारी है जिनको मिलती है सिर्फ एक हजार महीना पेंशन


नोएडा :- ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति द्वारा देशभर में “पेंशनर बचाओ ” अभियान चला कर केन्द्र सरकार और ईपीएफओ की तानाशाही के विरुद्ध आवाज़ बुलंद कर रही है। समिति का आरोप है कि ईपीएफओ उच्च पेंशन के नाम पर नयी नयी शर्तें लगाकर परेशान कर रहा है और न्यूनतम पेंशन 7500 रू महीना, डी ए व मुफ्त चिकित्सा सुविधा की मांग को पूरा करने में आनाकानी कर रहा है। जबकि 2 बार स्वयं प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया और वित्त मंत्री के साथ बैठक कारवाई। पेंशनरों ने अपनी मांगों के समर्थन में 28 मार्च को श्रम शक्ति भवन के सामने धरना देंगे। इस धरने मैं दिल्ली एनसीआर के करीब 500 लोग शामिल होंगे।

कमांडर अशोक राउत ने बताया

एनएसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया कि आर्थिक बदहाली के कारण औसतन 200 पेंशनर्स प्रतिदिन मरते जा रहे हैं। दिल्ली में 27 व 28 मार्च को सीबीटी की बैठक है अगर उसमे पेंशन बढ़ोत्तरी पर कोई निर्णय नहीं हुआ तो 28 मार्च को श्रम शक्ति भवन, दिल्ली पर ही बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा। उन्होंने कहा हमारी मांगें जायज हैं , जिसमे प्रत्येक पेंशन धारक को 7500 रुपए के साथ डी ए व मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिलनी चाहिए इसके साथ ही मंहगाई भत्ता भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि करीब 70 लाख रिटायर कर्मचारी हैं जिनको एक हजार पेंशन मिलती है। इस महंगाई मैं इतने पैसे से कैसे काम चलेगा। दो बार प्रधानमंत्री 20 बार श्रम मंत्री अनेकों बार फाइनेंश सेकेट्री से मिलने और इतनी मीटिंग होने और भगत सिंह कोशियारी समिति तथा कोर्ट के आदेश के बाद भी पेंशन नहीं बढ़ाई जा रही है। जो बेहद दुखद है। कमांडर अशोक ने कहा देश भर मैं करीब साढ़े सात करोड़ लोगों ने स्कीम मैं अंशदान किया है, जबकि देश भर मैं करीब 33 करोड़ लोग कार्यरत हैं।

वीरेंद्र सिंह राजावत ने कहा

राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र सिंह राजावत ने कहा कि सरकार द्वारा की जा रही लेट लतीफी से आहत होकर ही समिति ने धरना देने का निर्णय लिया है , 28 मार्च को होने वाले धरने मैं दिल्ली एनसीआर के करीब 500 पूर्व कर्मचारी शामिल होंगे। धरने के बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। हालांकि यह सांकेतिक धरना होगा। भविष्य मैं आवश्यकता पड़ी तो देश स्तर पर अनिश्चित कालीन धरना देने पर विचार किया जाएगा।