रक्षाबंधन 11 को या 12 को की बढ़ी दुविधा
नई दिल्ली:- वर्ष 2022 में श्रावण पूर्णिमा,11 अगस्त 2022 गुरुवार को मनाई जानी है,लेकिन विभिन्न लोगो का कहना है कि उस दिन ज्योतिष के अनुसार भद्रा है,जो कि अशुभ है। जबकि कुछ जानकारों का दावा है कि भद्रा काल भारत भूमि पर प्रभावी ही नहीं है।
रक्षाबंधन 11 अगस्त को अथवा 12 अगस्त को:
अगर बात की जाए 11 अगस्त 2022 की तो अधिकांश विद्वानों के अनुसार कहा गया है कि
इदं भद्रायां न कार्यम्
अर्थात् मुख्यतः यह 2 कार्य भद्रा काल में ना करें, फिर चाहे भद्राकाल स्वर्ग की हो अथवा पाताल की।
द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा ।
श्रावणी नृपतिं हन्तिं ग्रामं दहति फाल्गुनी!!
अर्थात् भद्राकाल में रक्षाबंधन और होलिका दहन कदापि ना करें!(धर्मसिन्धु)
आचार्य धर्मेश जी महाराज बताते हैं कि यदि धर्मसिंधु और निर्णय सिंधु के वचनों की ओर ध्यान दिया जाए,तो उसमें स्पष्ट रूप से भद्रा काल में 2 कार्यों को करने के लिए मना किया गया है ,जो होलिका दहन और रक्षाबन्धन हैं।
पौराणिक कथा तो ये भी है कि भद्रा काल में रावण की बहन ने,रावण को राखी बांधी थी परिणाम आप सब जानते हैं।
निर्णय सिंधु कहता है कि
पूर्णिमायां भद्रा रहितायां त्रिमुहूर्त्ताधिकोदव्यापिनीयां अपराह्ने वा कार्यम्।।
उदय त्रिमुहूर्त्त न्यूनत्वे पूर्वेद्युर्भद्रा रहिते प्रदोषादि काले कार्यम्।।
तत्सत्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यात् !
अर्थात भद्रा रहित और तीन मुहूर्त( लगभग 6 घड़ी= 2:24 घं.मि.) से अधिक उदयकाल व्यापनी पूर्णिमा के अपराह्न या प्रदोष काल में करें! यदि तीन मुहूर्त से कम हो तो न करें! ऐसी परिस्थिति में जब भद्रा बीत जाए,फिर चाहे रात्रि में ही बीते,तब रक्षाबंधन करें!
( धर्मसिंधु & निर्णय सिंधु )
भद्रा पर विभिन्न मत:
डॉ भूपेंद्र मिश्र ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि 11 अगस्त 2022 की पूर्णिमा को संपूर्ण दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेगा, एवं चंद्रमा के मकर राशि में होने से भद्रा का वास इस दिन पाताल लोक में रहेगा। पाताल लोक में भद्रा के रहने से यह शुभ फलदायी रहेगी। इसलिए पूरे दिन सभी लोग अपनी सुविधा के अनुसार अच्छे चौघड़िए और होरा के अनुसार राखी बांधकर त्यौहार मना सकते हैं।।
मुहुर्त्त चिन्तामणि के अनुसार भी जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है। चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है। कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है।
भद्रा जिस लोक में रहती है वही प्रभावी रहती है। इस प्रकार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होगा तभी वह पृथ्वी पर असर करेगी अन्यथा नही। जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फलदायी कहलाएगी। अर्थात 11 अगस्त को 11:38 प्रातःकाल में पूर्णिमा तिथि लगने के उपरांत ही रक्षाबंधन मनाया जाएगा।
12 अगस्त पर विद्वानों के मत:
अब अगर बात12 अगस्त 2022 की हो ,तो इस दिन रक्षाबन्धन को लेकर तमाम चर्चाएं हैं।
निर्णयसिंधु कार स्वर्गीय महा उपाध्याय पंडित विद्याधर गौड़ जी भी श्रावणी कर्म उपयोगी संक्षिप्त निर्णय में कहते हैं कि
भद्रायोगे रक्षाबंधनस्यैव निषेधात्।
एवं प्रतिपद्योगोऽपि न निषिद्ध: ।।
रक्षाबंधन में भद्रा का निषेध है परंतु प्रतिपदा निषिद्ध नहीं।।
चूंकि 11 अगस्त को रात्रि 8:50 तक भद्रा है 12 अगस्त को भद्रा नहीं है और 7:05 से प्रतिपदा से युक्त है। अतः 12 अगस्त 2022 को भी रक्षाबंधन का त्योहार ग्राह्य है और मनाया जाएगा। इस वर्ष अत्यधिक 12 अगस्त को ही रहेगा!
ये हैं शुभ मुहूर्त:
विद्वानों के अनुसार 11 अगस्त 2022 को प्रात: 10:38 से रात्रि 8:50 तक भद्रा लगी हुई है। शास्त्र कहते हैं कि भद्रा बीतने के बाद रक्षाबंधन करें फिर चाहे रात्रि ही क्यों ना हो।(निशीथ काल से पहले)
तो 11 अगस्त को रात्रि 8:50 से 9:50 के बीच में रक्षाबंधन करें, क्योंकि 12 अगस्त को प्रातः 7:05 से प्रतिपदा तिथि लग चुकी है। कुछ जानकारों का मत है कि 11 अगस्त रात्रि 08.52 मिनट से रात्रि 09.20 मिनट तक राखी बांध सकते हैं। इस दिन राखी बांधने के लिए ये सबसे उत्तम मुहूर्त है। एक मुख्य बात ये भी है कि अगर 12 अगस्त को राखी बांध रहे हैं तो शुभ मुहूर्त का ध्यान जरूर रखें, क्योंकि इसी दिन से पंचक भी लग रहे हैं। 12 अगस्त 2022 शुक्रवार को पंचकी की शुरुआत दोपहर 2.49 मिनट से होगी जो 16 अगस्त, मंगलवार को रात्रि 9.07 बजे तक रहेगा।
समय अभाव है तो ये करें।
11 अगस्त 2022 को भद्रा सुबह से रात तक रहेगी, भद्रा में राखी बांधना अशुभ होता है. लेकिन समय के अभाव में जो लोग इस काल में राखी बांधने को मजबूर हैं वो प्रदोषकाल में शुभ, लाभ या अमृत का चौघड़ियां देखकर राखी बांधना सकते हैं।
रक्षाबंधन का महत्व:
*सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।*
*सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत् ।।*
*इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है ।इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्षभर मनुष्य रक्षति हो जाता हैं ।(भविष्य पुराण)*