Salman Rushdie attacked : पुस्तक विवाद फतवे के 34 साल बाद हुआ रुश्दी पर जानलेवा हमला

न्यूयॉर्क के एक कार्यक्रम में मंच पर चढ़ चाकू से गले व पेट पर वार,हालत नाजुक

नई दिल्ली:-कट्टरपंथी मानसिकता कभी भी शांत नहीं हो सकती,इसका जीता जागता सबूत अमेरिका के न्यूयॉर्क में मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर हुआ हमला है। रुश्दी पर ये हमला जिस पुस्तक के विवाद से जोड़ कर देखा जा रहा है ,वो अब से लगभग 34 साल पहले प्रकाशित हुई थी। पुस्तक के प्रकाशन के बाद उस पर ईशनिंदा का आरोप लगा तमाम तरह के फतवे जारी किए गए थे।

रुश्दी और उनकी विवादित पुस्तक:

अहमद सलमान रुश्दी का जन्म 19 जून 1947 को मुंबई में हुआ था। रुश्दी भारतीय मुस्लिम परिवार में पैदा हुए थे लेकिन वे खुद को नास्तिक बताते हैं। भारतीय मूल के उपन्यासकार रुश्दी ने अपने 1981 के उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रन’ के जरिए खासा प्रसिद्धि हासिल की थी। किताब को उसी साल दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार ‘बुकर प्राइज’ से सम्मानित किया गया था। इस किताब को बुकर प्राइज जीतने वालों में दो बार (1993 और 2008 में) दुनिया के सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के रूप में नवाजा गया था। रुश्दी अपनी पुस्तक ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के साथ दुनिया भर में और फेमस हो गए। किताब में कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक बातें लिखी गईं। किताब 1988 में प्रकाशित हुई थी। इसके प्रकाशन के तुरंत बाद इस्लामिक देशों में इसके खिलाफ भूचाल आ गया। कई मुसलमानों ने इसे ‘ईशनिंदा’ कहा और ईरान व भारत सहित कई देशों में इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया। रुश्दी की यह किताब ईरान में 1988 से ही प्रतिबंधित है।

ईशनिंदा के आरोप में जारी हुए फतवे:

इस पुस्तक के विवाद के सामने आने के बाद ईरान के कट्टरपंथी तत्वों से उनको जान से मारने की धमकी मिली थी। इस्लाम धर्म के मानने वाले बहुत लोगों का मानना है कि किताब में ईशनिंदा की गई है। ईरान के तत्कालीन नेता अयातुल्लाह रोहल्ला खुमैनी ने रुश्दी की मौत का फतवा जारी किया था। उनकी हत्या करने वाले को 30 लाख डॉलर से अधिक का ईनाम देने की घोषणा की गई थी। हालांकि ईरान सरकार ने उस फतवे से खुद को अलग रखा है। लेकिन बावजूद इसके रुश्दी के खिलाफ उग्र भावनाएं बनी रहीं। उनकी विवादास्पद किताब भारत में भी प्रतिबंधित है। रुश्दी अंग्रेजी में लिखते हैं और लंदन में रहते हैं। उस वक़्त की एक अखबारी रिपोर्ट के अनुसार ईरान में एक अर्ध-सराकरी धार्मिक संगठन ’15 खोरदाद फाउंडेशन’ ने रुश्दी की हत्या के लिए इनाम को शुरुआती $2.8 मिलियन से बढ़ाकर $3.3 मिलियन कर दिया। उनकी किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के अनुवादकों और प्रकाशकों की हत्या के प्रयास भी हुए। जिसके बाद उन्हें ब्रिटेन सरकार द्वारा पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई।

रुश्दी ने दी थी सफाई:

बताया जाता है कि विवाद के बाद बीबीसी रेडियो पर बोलते हुए रुश्दी अपनी पुस्तक का बचाव करते हुए कहा था कि “यह सच नहीं है कि यह पुस्तक इस्लाम के खिलाफ ईशनिंदा है। मुझे इस बात पर बहुत संदेह है कि खुमैनी या ईरान में किसी ने किताब पढ़ी भी है। उन्होंने बाहर के किसी से मेरी किताब के बारे में कुछ चुनिंदा बातें ही सुनी हैं।” उसी साल, रुश्दी ने फतवे के बारे में एक संस्मरण, ‘जोसेफ एंटोन’ भी प्रकाशित किया था।

भरे मंच पर चढ़ हुआ चाकू से हमला:

गौरतलब है कि अमेरिका के न्यूयार्क शहर में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान लेखक सलमान रुश्दी पर एक व्यक्ति ने जानलेवा हमला किया। मुंबई में पैदा हुए और बुकर पुरस्कार से सम्मानित 75 वर्षीय रुश्दी पश्चिमी न्यूयॉर्क के शुटाउक्वा संस्थान में एक कार्यक्रम के दौरान अपना लेक्चर शुरू करने वाले थे। तभी एक व्यक्ति मंच पर चढ़ा और रुश्दी पर चाकू से हमला कर दिया। उस समय कार्यक्रम में उनका परिचय दिया जा रहा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावर ने उनकी गर्दन और पेट पर लगभग 15 वार किए। कहा जाता है कि वहां मौजूद लोगों ने हमलावर को पकड़ लिया। न्यूयार्क पुलिस ने कहा कि सलमान रुश्दी पर मंच पर हुए हमले में उनकी गर्दन व पेट मे चोट आई है, उन्हें हेलीकॉप्टर से ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। बताया जा रहा है कि उनकी सर्जरी की गई है,लेकिन उनकी एक आँख की रोशनी जाने और लिवर डैमेज होने की सम्भावना बनी हुई है। फिलहाल हमलावर पुलिस हिरासत में है।

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