श्रावण मास 2022: महादेव पर क्यों चढ़ाते हैं बेलपत्र?

सावन में वरदान है बेलपत्र

नोएडा:-  वैसे तो लोग शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, जल, भस्म, धतूरा, दूध, भांग और शहद आदि तमाम वस्तुओं को अर्पित किया जाता है,लेकिन सावन के महीने में शिव जी के अभिषेक का अपना ही महत्व है। इस माह किया गया रुद्राभिषेक तो हज़ारों यज्ञों के बराबर पुण्यफल देता है। गौर करने वाली बात ये है कि देवाधिदेव महादेव को आखिर बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?

आचार्य धर्मेश जी महाराज

तो इसके विषय में आचार्य धर्मेश जी महाराज बताते हैं कि कहते हैं कि जब समुद्र मंथन के बाद विष निकला तो भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया, जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी गरम होने लगा। चूंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है। इसलिए सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया। बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया। बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी और तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी।

तीन पत्तियां दर्शाती हैं तीन गुण:

बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं। मान्यता अनुसार इन तीन पत्तियों को तीन गुणों सत्व, रज और तम से जोड़कर देखा जाता है। इन्हें ही त्रिदेव (सृजन, पालन और विनाश) का रूप भी माना जाता है। इसे ओम की तीन ध्वनि का प्रतीक भी माना जाता है। बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखें या उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक माना जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्वपत्र चढ़ाने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और कभी भी आर्थिक तंगी नहीं रहती है। बिल्वपत्र को तिजोरी में रखने से भी बरकत आती है।

आयुर्वेदिक गुण भी लाभकारी:

आयुर्वेद के अनुसार इस ऋतु में शरीर में वायु का प्रकोप तथा वातावरण में जल-वायु का प्रदूषण बढ़ जाता है । आकाश बादलों से ढका रहने से जीवनीशक्ति भी मंद पड़ जाती है । इन सबके फलस्वरूप संक्रामक रोग तेज गति से फैलते हैं । ऐसे में इन दिनों में शिवजी की पूजा के उद्देश्य से घर में बेल के पत्ते लाने से उसके वायु शुद्धिकारक, पवित्रतावर्धक गुणों का तथा सेवन से वात व अजीर्ण नाशक गुणों का भी लाभ जाने-अनजाने में मिल जाता है। उनके सेवन से शरीर में आहार अधिकाधिक रूप में आत्मसात् होने लगता है। मन एकाग्र रहता है, ध्यान केन्द्रित करने में भी सहायता मिलती है।परीक्षणों से पता चला है कि बेल के पत्तों का सेवन करने से शारीरिक वृद्धि होती है । बेल के पत्तों को उबालकर बनाया गया काढ़ा पिलाने से हृदय मजबूत बनता है। बेल की पत्तियों के 10-12 ग्राम रस में 1 ग्राम काली मिर्च व 1 ग्राम सेंधा नमक का चूर्ण मिलाकर रोज सुबह-दोपहर-शाम सेवन करने से अजीर्ण में लाभ होता है। बेलपत्र, धनिया व सौंफ को समान मात्रा में लेकर कूट लें। 10 से 20 ग्राम यह चूर्ण शाम को 100 ग्राम पानी में भिगो दें और सुबह पानी को छानकर पी जायें। इसी प्रकार सुबह भिगोकर शाम को पीयें। इससे स्वप्नदोष कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा। यह प्रमेह एवं स्त्रियों के प्रदर में भी लाभदायक है।

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