प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक,एसपीजी को आया गुस्सा

राज्य सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

नई दिल्ली/आंध्रप्रदेश:- सोमवार को उस वक़्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक देखने को मिली,जब वे विजयवाड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भीमावरम के लिए रवाना हुए। इस दौरान उनके हवाई रास्ते में काले गुब्बारे छोड़े दिए गए,जो उड़ते हुए उनके हेलीकॉप्टर के आसपास पहुंच गए। इस घटना को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) बड़ी सुरक्षा चूक के रूप में देख रहा है। 

एसपीजी ने पूंछा,अगर ये ड्रोन होते तो क्या होता:

एसपीजी ने काले गुब्बारे छोड़े जाने को काफी गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। एसपीजी ने राज्य की पुलिस से पूछा है कि अगर गुब्बारों के साथ ड्रोन भी होते तो क्या होता।

राज्य पुलिस का चूक से इंकार:

वहीं दूसरी तरफ कृष्णा जिले के पुलिस अधीक्षक पी. जोशुआ ने कहा कि हवाई अड्डे पर कोई सुरक्षा चूक नहीं हुई। इस मामले में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता सहित तीन अन्य कार्यककर्ताओं को काले गुब्बारों के साथ हवाई अड्डे में घुसने का प्रयास करने के लिए गिरफ्तार किया गया है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए हवाई अड्डे पर करीब 800 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दो कार्यकर्ताओं ने हवाई अड्डे से साढ़े चार किलोमीटर दूर सुरमपल्ली गांव में निर्माणाधीन इमारत से गुब्बारे छोड़े। जब उन्होंने गुब्बारे छोड़े, तब तक प्रधानमंत्री मोदी का हेलीकॉप्टर हवाई अड्डे से उड़ान भर चुका था।

कांग्रेस ने वीडियो किया शेयर:

कांग्रेस ने घटना का एक वीडियो साझा किया जिसमें गणवरम से एमआई-17 एस हेलीकॉप्टर के गांव के ऊपर से गुजरते समय काले गुब्बारे हवा में उड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। जब दो हेलीकॉप्टर वहां से गुजर रहे थे तब गुब्बारे आसमान में काफी ऊपर तक पहुंच गए थे। 

क्यों था विरोध?

आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सोमवार को प्रधानमंत्री की राज्य की यात्रा के दौरान आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने समेत कई ”वादे तोड़ने” को लेकर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की अपील की थी। जब प्रधानमंत्री स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए आंध्र प्रदेश आए थे। 

कौन थे अल्लूरी?

सीताराम राजू अल्लूरी की प्रतिमा

आंध्र प्रदेश के भीमवरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू की 30 फीट ऊंची कांस्य की प्रतिमा का अनावरण किया। दरअसल अल्लूरी ने पिछली सदी के दूसरे दशक में अंग्रेजी राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। वे आंध्र के गोदावरी क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के नेता बने। 20 वर्ष की आयु में ही में ही वे साधू बन गए। इसी दौरान अंग्रेजों ने जब गोदावरी इलाके के जंगलों में जब आदिवासियों की खेती पर पाबंदी लगाकर खुद बड़े पैमाने पर वन काटना शुरू किया तो उन्होंने आदिवासियों को इकट्ठा करना शुरू  किया। तब 1922 के आसपास अल्लूरी ने जो विद्रोह शुरू किया, उसको रम्पा विद्रोह कहा गया। अल्लूरी ने आदिवासियों को शस्त्रकला में दक्ष किया। आदिवासी उन्हें भगवान मानते थे। वे थानों पर गुरिल्ला हमला करते थे और शस्त्रागार लूट लेते थे। अंग्रेजों ने उन्हें चिंतापाले के जंगलों से गिरफ्तार कर फांसी दे दी थी। 

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