Navratri 2022 : पूरे 9 दिन के होंगे नवरात्रि पर्व

:- कब रहेगा शरद नवरात्रि में कलश स्थापना मुहूर्त

Desk report :- इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का पर्व दिनाँक 26 सितंबर 2022 दिन सोमवार से प्रारंभ होकर 4 अक्तूबर 2022 दिन मंगलवार तक चलेगा।

इस वर्ष मैया का आगमन गज/ हाथी पर सवार होकर होगा जिसका परिणाम वृष्टि कारक माना गया है।

वही माता का गमन/प्रस्थान चरणायुध अर्थात मुर्गे पर होगा जिसका फल अशुभप्रद कहा गया है।

नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त

वर्ष प्रतिपदा तिथि रात्रि 03:25 से प्रारंभ होकर अगले दिन की रात्रि 03:24 तक रहेगी अतः प्रातः काल से लेकर शायम तक सम्पूर्ण दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा है क्योंकि इस बार चित्रा आदि नक्षत्र का न तो योग है और न ही प्रतिपदा तिथि की हानि, अतः सम्पूर्ण दिन कलश स्थापन का मुहूर्त पञ्चांग में दिया है।

इस बार पूरे नौ दिन की नवरात्रि पड़ रही है।

अष्टमी तिथि का निशा पूजा 2 अक्तूबर रविवार को रात में होगी वही महा अष्टमी का व्रत हवन पूजन आदि 3 अक्तूबर सोमवार को शाम 4 बजे तक किया जाएगा।

महानवमी पूजन वा पूर्ण नवरात्रि समापन का हवन आदि 4 अक्तूबर मंगलवार को नवमी तिथि पर्यन्त दोपहर के 1 बजकर 36 मिनट तक किया जायेगा।

ध्यान दे इस वर्ष 4 अक्तूबर मंगलवार को ही दोपहर 1:37 से दशमी तिथि लगकर रात्रि पर्यंत रहने के कारण विजयादशमी का पर्व भी इसी दिन अर्थात 4 अक्तूबर मंगलवार को मनाया जाएगा।

पूर्ण नवरात्रि व्रत का पारण दशमी तिथि में प्रातः काल 5 अक्तूबर बुधवार को श्रवण नक्षत्र युक्त दशमी तिथि में देवी प्रतिमाओं का विसर्जन करके किया जाएगा।

ध्यान दे जो भक्त गण नौ दिन की नवरात्रि व्रत रखकर जो नवमी में ही पारण कर लेते है वो 4 अक्तूबर को हवन के उपरांत ही पारण कर सकते है।

ध्यान दे उपरोक्त धर्म शास्त्रीय विवेचना काशी के प्रसिद्ध महावीर पंचांग के उद्धृत है अतः इस पर किसी प्रकार का संदेह न करे और सोशल मीडिया के टी आर पी बढ़ाने वाले भ्रामक प्रचार से दूर रहकर अपने आचार्यों वा पंचांग द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार बताए गए शुभ मुहूर्त के अनुसार श्रृद्धा पूर्वक नवरात्रि के पर्व को मनाए वा माता रानी को प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त करें।

पूजा-विधि

  • सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
  • मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
  • धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
  • मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।