बिल्डर ने किसी दूसरे को बेचा फ्लैट, लॉजिक्स के 7 डायरेक्टर पर मुकदमा
नोएडा,
नोएडा में बायर्स के साथ एक ओर धोखाधड़ी का मामला सामने आया। यहां बिल्डर ने पीड़ित से फ्लैट की रकम की आधा पैसा ले लिया। 11 साल बाद भी पीड़ित को फ्लैट पर कब्जा नहीं मिला। प्राधिकरण में कागजी दस्तावेज से जानकारी मिली कि बिल्डर ने किसी दूसरे व्यक्ति को फ्लैट बेच दिया और कब्जा भी दिया। ये पूरा मामला लॉजिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का है।
कोर्ट आदेश के बाद कंपनी के सात डायरेक्टर शक्ति नाथ, विक्रम नाथ, देवेंद्र मोहन सक्सेना, हेमंत शर्मा, दीलीप कुमार सिंह, मीना नाथ और शिवम झा के खिलाफ थाना फेज-1 मुकदमा दर्ज किया गया। मनीष कुमार शर्मा गाजियाबाद के इंदिरापुर में रहते है। 17 नवंबर 2013 को उन्होंने लॉजिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के सेक्टर-137 ब्लासम काउंटी प्रोजेक्ट के टावर -एल में फ्लैट नंबर 1401 बुक कराया। इसके लिए दिसंबर 2013 को कंपनी के साथ फ्लैट बायर्स एग्रीमेंट साइन किया गया। यूनिट की कुल कीमत 54 लाख 44 हजार 610 रुपए थी। शर्त के अनुसार तीन साल में बिल्डर को फ्लैट पर कब्जा देना था। पीड़ित ने बुकिंग के दौरान यानी 13 नवंबर 2013 को बिल्डर के नाम 3 लाख 61 हजार का चेक दिया। इसके बाद 16 दिसंबर 2013 को 12 लाख 39 हजार का चेक दिया गया। भुगतान करने के लिए फ्लैट के कागज के आधार पर बैंक से 16 लाख 91 हजार रुपए का लोन भी लिया। जिसकी महीने की किस्त अब भी पीड़ित दे रहा है।
बतौर लोन के लिए बिल्डर कंपनी और लोन देने वाली कंपनी के बीच ट्राइपेट समझौता भी किया गया। ऐसे में कुल 32 लाख 91 हजार रुपए का भुगतान पीड़ित ने बिल्डर को किया। एग्रीमेंट के तहत आधा पैसा जमा करने पर बिल्डर को फ्लैट पर पजेशन देना था। 10 साल बीत जाने के बाद भी पीड़ित को बिल्डर ने फ्लैट पर कब्जा नहीं दिया। जबकि बिल्डर को कब्जा 2016 में देना था। 23 मार्च 2023 को प्राधिकरण से पता चला कि ये फ्लैट किसी और को बेच दिया गया। साथ ही उस पर पजेशन भी दे दिया गया। पीड़ित जब बिल्डर के सेक्टर-16 कॉर्पोरेट ऑफिस गया तो वो भी बंद था। न्यायालय से गुहार के बाद थाना फेज-1 पुलिस ने मामला दर्ज किया है।