Noida rain : अरे हुजूर। ‘वाह’ नहीं ,’आह’ नोएडा बोलिए।

जरा सी बारिश में पानी पानी हो गया प्रदेश का हाईटेक शहर

नोएडा:- नोएडा को ऐसे ही उत्तरप्रदेश के शो विंडो कहा जाता है। इसके एन्ट्री पॉइंट से लेकर विभिन्न सड़कों तक  रंगबाजी की जो बेजोड़ कला को उकेरा गया है,वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है। लेकिन ये रंग रोगन की चका-चौंध सिर्फ मरीचिका मात्र होगी,इस बात का अंदाजा शायद ही प्राधिकरण के किसी सिपहसालार को होगा। जिस शहर को विश्वस्तरीय बता कर करोडों का बजट खर्च किया जा रहा है,वो शहर जरा सी बारिश में ही अपना तमगा विसर्जित कर दे,ये कितनी शर्म की बात है।

आज नोएडा की हालत इन्ही वाक्यों को पूरित करने वाली हैं। जब मात्र चंद मिनटों की बरसात में ही इस विश्वस्तरीय शहर को पानी पानी होना पड़े,तो परिस्थितियों को समझने में अधिक देर नहीं लगनी चाहिए। बुधवार की हल्की बारिश में ही इस शहर का शैलाब जैसी स्थिती जैसा जूझना इस बात का सूचक है कि व्यवस्था कितनी कमजोर है। महज ऊपर से रंगीन और चमकदार बना देने से ये शहर दुनिया में नाम नहीं कमा सकता । इसके लिए इसकी मूलभूत सुविधाओं पर संजीदगी से काम करना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन इस शहर को जिम्मेदार हुक्मरानों ने सिर्फ और सिर्फ  अपनी जादूगरी का हिस्सा मात्र समझ कर काम किया है। लिहाजा ,ऊपर से रंगीन दिखने वाला ये शहर जरा सी बारिश में जलभराव का भयावह उदाहरण बन जाता है। बुधवार को भी ऐसा ही हुआ,जब हाईटेक शहर नोएडा के  प्रमुख मार्ग जरा सी बारिश के बाद तालाब में तब्दील हो गए। लोग परेशान रहे,जलभराव से जूझते रहे ,लेकिन उनकी समस्या का समाधान कहीं भी देखने को नहीं मिला।

थाने बन गए तालाब:

हाईटेक शहर के मुंह पर तमाचा ये था कि आम आदमी की सड़कें और गाँव-सेक्टर तो बहुत दूर की बात ,इस जरा सी बारिश में शहर के थाने चौकी असलियत से रूबरू कराते हैं। बुधवार की बारिश के बाद 12-22 चौकी में ही जलभराव शर्मशार करने वाला है,जबकि वहां पुलिस विभाग के एक एसीपी का कार्यालय भी है। 

पूरा शहर बदहाली का शिकार:

नोएडा को भले ही यहां के अधिकारी विश्वस्तरीय जुमलों का साक्षी बनाने में जी तोड़ मेहनत कर रहें हो,लेकिन एक अदद बरसात सभी दावों को ध्वस्त करने में सफल दिखाई देती है। बता दें कि बुधवार की जरा सी बारिश में शहर के तमाम स्थानों पर लोगों को घुटनों तक पानी में आसानी से देखा जा सकता था। यही नहीं जलभराव से जूझ रहे लोगों को स्वयं अपनी व्यवस्था सुचारू करते देखा जा सकता था।

मैनेजमेंट का है खेल:

दरअसल नोएडा जैसे शहर में रंगरोगन और अन्य औपचारिक गतिविधियों के अलावा कुछ भी ऐसा नहीं है,जो इसे विश्वस्तरीय श्रेणी में रख सके। कुछ सूचना संस्करण और अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटजी को पूरित करती प्राधिकरण की टीम सिर्फ अच्छी तस्वीरों के जरिए सच्चाई को मूंदने में सफल रहती है,लेकिन पानी जब अपनी रवानी पर आता है ,तब सब दूध का दूध और पानी का पानी कर ही देता है।

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