लखनऊ :- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्च स्तरीय बैठक में ‘उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण’ के गठन के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक की और यथाशीघ्र इसके गठन की प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश दिए। प्राधिकरण के स्वरूप पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राधिकरण के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद पर ख्यातिलब्ध विशेषज्ञ को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। प्रदेश के परिवहन आयुक्त को इसका सी0ई0ओ0 नामित किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह प्राधिकरण नोडल अथॉरिटी के रूप में भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के साथ समन्वय का कार्य करेगा। प्राधिकरण द्वारा अन्तर्देशीय जल परिवहन एवं पर्यटन सम्बन्धित समस्त गतिविधियों का रेगुलेशन किया जाएगा। यह प्राधिकरण जल परिवहन से सम्बन्धित पर्यावरण एवं सुरक्षा कानूनों का अनुपालन, जलमार्गों के विकास एवं बेहतर उपयोग हेतु हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण एवं जांच की जिम्मेदारी का निर्वहन भी करेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा अन्तर्देशीय जल यातायात डेटा का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाना चाहिए। अन्तर्देशीय जल परिवहन, पर्यटन एवं शिपिंग तथा नेविगेशन से जुड़ी गतिविधियों के सम्बन्ध में वैज्ञानिक अनुसंधान किया जाए। अंतर्देशीय जल परिवहन के स्टेकहोल्डर्स एवं अधिकारियों/कर्मचारियों का तकनीकी प्रशिक्षण भी कराया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की नदियों के जलमार्गों के सदुपयोग एवं विनियमन के परिप्रेक्ष्य में जलग्रहण क्षेत्र का निर्धारण, नदियों को चैनलाइज करने तथा पूरे वर्ष नेविगेबल बनाए रखने, अविरल प्रवाह हेतु ड्रेजिंग गतिविधि कराने तथा अन्तर्देशीय जल परिवहन हेतु ढांचागत सुविधाओं आदि की स्थापना के अलावा, पर्यटक सर्किट मार्ग तैयार करने में प्राधिकरण की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि प्राधिकरण द्वारा जल परिवहन के अन्य परिवहन साधनों के साथ समन्वयन तथा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप एवं निजी भागीदारी प्रोत्साहित करने का भी कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर नदी की प्रकृति भिन्न होती है। ऐसे में अन्तर्देशीय जलमार्गों के वर्गीकरण के लिए प्राधिकरण द्वारा मानक तय किया जाना चाहिए।