नई दिल्ली।
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अब तक 31 सीटों पर टिकट घोषित किए हैं, जिसमें से 18 मौजूदा विधायकों का पत्ता कट चुका है और दो विधायकों की सीट बदल दी गई है।केजरीवाल इस बार बीजेपी के नक्शेकदम पर चल रहे हैं और नो रिपीट फॉर्मूले को आजमा रहे हैं।
दिल्ली की सत्ता पर लगातार चौथी बार अपना कब्जा जमाने के लिए आम आदमी पार्टी एक नए सियासी प्रयोग के साथ उतरी है। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल चुनाव ऐलान से पहले उम्मीदवारों के नाम ही घोषित नहीं कर रहे हैं बल्कि उन्होंने बीजेपी के विनिंग फार्मूले ‘नो-रिपीट’ को आजमाने का भी दांव चला है। आम आदमी पार्टी ने दो लिस्टों में 31 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं और आधे से ज्यादा अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर उनकी जगह पर नए चेहरों को मौका दिया है।
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पहले 11 और उसके बाद 20 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। इस तरह केजरीवाल ने कुल 70 विधानसभा सीटों में से 31 सीटों पर टिकट घोषित कर दिए हैं।मनीष सिसोदिया और राखी बिड़लान की सीट बदल दी गई है तो 18 मौजूदा विधायकों के टिकट अभी तक काटे गए हैं।इतनी बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी ने कभी दिल्ली में अपने विधायकों के टिकट नहीं काटे हैं।अभी तक इस तरह से बीजेपी ही कदम उठाती रही है।
बीजेपी के नक्शेकदम पर :
एंटी-इनकंबेंसी को काउंटर करने के लिए बीजेपी अपने मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों को उतारती रही है। बीजेपी ने सबसे पहले यह प्रयोग गुजरात में किया था और उसके बाद से धीरे-धीरे हर राज्य में बड़ी संख्या में विधायकों का टिकट काटती रही है और उनकी जगह पर नए प्रत्याशी उतारती रही है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान ही नहीं हरियाणा में इसी दांव से बीजेपी सियासी बाजी अपने नाम करने में कामयाब रही थी।2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने काफी संख्या में अपने मौजूदा सांसदों का टिकट काटा था और नए चेहरों पर भरोसा जताकर सत्ता विरोधी लहर को मात देने में सफल रही।
बीजेपी के नो-रिपीट फार्मूले को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के ‘सियासी महाभारत’ में आजमाने का दांव चला है। आम आदमी पार्टी ने इस बार सभी सीटों पर सर्वे कराया है और पार्टी के जिन विधायकों की रिपोर्ट पक्ष में नहीं है, उनके टिकट काट रही है।
अगर सूत्रों की मानें तो वर्तमान विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 62 विधायकों में से इन अठारह के अलावा और करीब 12 से 15 विधायकों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। कहा जाता है कि इलाके में इन विधायकों का रिपोर्ट बेहतर न होने के चलते केजरीवाल ऐसा करने का फैसला लिया है। आगे चाहे जो कुछ भी हो किन्तु। दिल्ली में राजनीतिक सियासत और भी ज्यादा तेज हो गई है। खास करके अब जो वर्तमान मे पार्टी के विधायक हैं। वह अभी से ही टिकट न कटे ऐङी चोटी का जोड़ लगा रहे हैं। दूसरी ओर। 2013 से लगातार दिल्ली की सत्ता पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है,
जिसके चलते एंटी-इनकंबेंसी का डर सता रहा है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल अपने मौजूदा विधायकों की टिकट काटने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखा रहे हैं और अभी तक घोषित किए 31 सीटों में से 18 विधायक के टिकट काटे हैं, जो करीब 45 फीसदी होता है।
दूसरी लिस्ट में नए चेहरे उतारे:
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सभी सीटों का सर्वे कर इस बात पर गौर किया है कि किस सीट पर कौन से जातिगत समीकरण और किस चेहरे पर दांव लगाना फिट बैठेगा। इन सब पर विचार करते हुए आम आदमी पार्टी की दूसरी लिस्ट में सभी विधानसभा में नए चेहरे उतारे गए हैं।इसके चलते आम आदमी पार्टी के मौजूदा विधायकों के बीच बेचैनी बढ़ गई है।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी अब इस मुद्दे को चुनाव में केजरीवाल की कमजोरी को पकड़कर उसे वोटरों में भुनाना चाहती है। देखना यह है कि दिल्ली की जनता आगे क्या करती है?