Delhi : AIIMS के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने ली स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

:- 2024 में होने वाले थे रिटायर

:- कोरोना काल में निभाई थी अहम जिम्मेदारी

नई दिल्ली :- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया  ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली है। उन्होंने लगभग 30 सालों तक देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान एम्स में अपनी सेवाएं प्रदान की।एम्स के निदेशक के रूप में उनका साढ़े पांच साल का कार्यकाल 23 सितंबर को समाप्त हो गया था। इसके बाद उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन किया था। उनके आवेदन को मंजूर कर लिया गया है। गुलेरिया अप्रैल 2024 में रिटायर होने वाले थे।

वैश्विक महामारी कोरोना मे डॉ गुलेरिया का योगदान महत्वपूर्ण

वैश्विक महामारी कोरोना संकट के दौरान डॉ गुलेरिया की बातों को पूरा देश ध्यान से सुनता था। वह सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया का नेतृत्व करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे और उन्होंने महामारी से संबंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता के प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाई। गुलेरिया एम्स में 1992 में चिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में शामिल हुए और उन्होंने 2011 में पल्मनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप चिकित्सा विभाग का गठन किया।

एम्स में 30 सालों तक दी अपनी सेवा

उन्होंने देश में COVID-19 से जुड़े इलाज के बारे में जागरूकता पैदा करने में भी प्रमुख भूमिका निभाई। AIIMS के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने 30 से अधिक वर्षों तक एम्स में सेवाएं दी।

28 मार्च, 2017 को पांच साल के कार्यकाल के लिए एम्स के निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने से पहले उन्होंने विभाग का नेतृत्व किया। उनका कार्यकाल 24 मार्च को समाप्त होना था, लेकिन इसे तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। इसके पूरा होने पर उन्हें तीन और माह के लिए सेवा विस्तार प्रदान किया गया। उनका करियर बहुत शानदार रहा है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (IGMC) शिमला से अंडरग्रैजुएट की डिग्री लेने वाले गुलेरिया देश के सबसे बड़े संस्थान के निदेशक पद पर पहुंचने की यात्रा काबिलेतारीफ रही है।

डॉ रणदीप गुलेरिया देश के सबसे बड़े पल्मोनोलॉजिस्ट

गुलेरिया देश के सबसे बड़े पल्मोनोलॉजिस्ट (Pulmonologist) में शुमार हैं। उन्हें देश का बड़ा मेडिकल एक्सपर्ट माना जाता है। गुलेरिया ने पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) चंडीगढ़ से एमडी की डिग्री हासिल की। इसके अलावा पल्मोनरी मेडिसिन में डीएम की डिग्री ली। इसके बाद वह 1992 में एम्स में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में ज्वाइन किया।इसके बाद एम्स में वह पल्मोनोलॉजी और स्लिप डिसऑर्डर विभाग के विभागाध्यक्ष भी बने।