एलजी ने नहीं दी केजरीवाल को सिंगापुर जाने की अनुमति

सिसोदिया बोले  पोलिटिकल क्लेरेन्स के लिए विदेश मंत्रालय में करेंगे सीधे आवेदन

नई दिल्ली : – दिल्ली मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस जिसमें शिक्षा,स्वास्थ्य, बिजली-पानी,सड़क पर शानदार काम हुआ है उसे देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर सरकार द्वारा वहां आयोजित हो रहे आठवें ‘वर्ल्ड सिटी समिट’ में दिल्ली के सस्टेनेबल मॉडल को प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया है। सिंगापुर जाने की मंजूरी के लिए सीएम ने 7 जून को फाइल उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के पास भेज दी थी। लेकिन, करीब डेढ़ महीने तक फाइल रखने के बाद एलजी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समिट में शामिल नहीं होने की सलाह दी है।  जिससे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इत्तेफाक नहीं रखते। अब उन्होंने पोलिटिकल क्लीयरेंस के लिए सीधे विदेश मंत्रालय में आवेदन करने का निर्णय लिया है।

सिसोदिया ने कहा ये फैसला राजनीति से प्रेरित:

एलजी के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।प्रेस-कांफ्रेंस में मनीष सिसोदिया ने कहा कि सिंगापुर सरकार द्वारा आयोजित किए जा रहे ‘वर्ल्ड सिटी समिट’ में जहां दुनिया भर के गवर्नेंस एक्सपर्ट्स, अर्बन एक्सपर्ट्स, लीडर्स शामिल हो रहे है| यहां मुख्यमंत्री जी को सिंगापुर सरकार द्वारा आमंत्रित करते हुए कहा गया कि उनके इनसाइट से ये समझने में मदद मिलेगी कि कैसे हम अपने शहरों को और अधिक रहने योग्य और सस्टेनेबल कैसे बना सकते हैं। इस प्रकार, दुनिया भर के लीडर्स दिल्ली के मुख्यमंत्री से राष्ट्रीय राजधानी में लागू की जा रही नीतियों और सुधारों के बारे में जानने और सीखने में रुचि रखते हैं। लेकिन दिल्ली के उपराज्यपाल ने करीब डेढ़ महीने तक फाइल रखने के बाद मुख्यमंत्री जी को समिट में शामिल नहीं होने की सलाह दे रहे है।

एलजी के अनुसार ये सिर्फ मेयरों का सम्मेलन:

उपमुख्यमंत्री ने साझा किया कि, मुख्यमंत्री द्वारा समिट में शामिल होने के लिए जो फाइल भेजी गई उसपर एलजी ने अपना जवाब लिखते हुए कहा है- “यह मेयर का सम्मेलन है। इस सम्मेलन में जिन विषयों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, वे शहरी शासन के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हैं, जो दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं। ऐसे में किसी मुख्यमंत्री का इस तरह के सम्मेलन में शामिल होना उचित नहीं है।” उपमुख्यमंत्री ने कहा, “अगर मुख्यमंत्री इस सम्मेलन के लिए सिंगापुर जाते हैं, तो दिल्ली के स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन आदि के मॉडल के बारे में चर्चा होगी और सभी लोग यह जानते है कि देश के बाहर ऐसे किसी भी सम्मेलन में भाग लेने के लिए, एक निर्वाचित प्रतिनिधि को विदेश मंत्रालय (MEA) से मंजूरी की आवश्यकता होती है, लेकिन एलजी मंजूरी न देते हुए मुख्यमंत्री के सम्मलेन में शामिल न होने की बात कर रहे है यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है।” सिसोदिया ने कहा, “इसे देखते हुए अब मुख्यमंत्री जी पोलिटिकल क्लेरेन्स के लिए सीधे विदेश मंत्रालय में आवेदन करेंगे और हमें उम्मीद है कि यह निर्णय राजनीति का शिकार नहीं होगा।”

केजरीवाल ने भी दिया है एलजी को जवाब:

साथ ही एलजी विनय कुमार सक्सेना की सलाह पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जवाब दिया है कि यह सिर्फ मेयर का सम्मेलन नहीं है। यह मेयरों, सिटी लीडर्स, नॉलेज एक्सपर्ट्स आदि का सम्मेलन है। सिंगापुर सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को आमंत्रित करने के लिए चुना है। यह बहुत गर्व की बात है कि दिल्ली गवर्नेंस मॉडल, विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली क्षेत्र में किए गए हमारे काम की चर्चा पूरे विश्व में हो रही है और उसे मान्यता मिल रही है। सिंगापुर सरकार ने मुझे दुनिया भर के  शहरों के नेताओं के सामने दिल्ली मॉडल पेश करने के लिए आमंत्रित किया है। यह हर भारतीय के लिए बड़े गर्व की बात है। हम सभी को इसे सेलेब्रेट करना चाहिए और इस बेहतर बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने आगे लिखा, ‘मानव जीवन को संविधान में दी गई तीन सूचियों में विभाजित नहीं किया जा सकता है। यदि हमारे देश में प्रत्येक संवैधानिक अथॉरिटी का दौरा इस आधार पर तय किया जाता है कि कौन सा विषय उस अथॉरिटी के अधिकार क्षेत्र में आता है, तो यह एक अजीब स्थिति और एक राजनीतिक गतिरोध पैदा करेगा। और इस आधार पर न तो कोई मुख्यमंत्री किसी देश का दौरा कर पाएगा और न ही  प्रधानमंत्री जी भी कहीं जा सकेंगे क्योंकि अपने अधिकांश दौरों में वह उन विषयों पर भी चर्चा करते हैं जो राज्य सूची में आते हैं न कि उनके अधिकार क्षेत्र में।

पूर्व के भी दिए उदाहरण:

सीएम की प्रतिक्रिया को साझा करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘यह सच नहीं है कि इस समिट में सिर्फ मेयर ही शामिल हो सकते हैं। इस सम्मेलन के पिछले कई संस्करणों में भारत सहित विभिन्न देशों के कई मुख्यमंत्री और मंत्री शामिल हुए हैं। 2018 में, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी इसी सम्मेलन में शामिल हुए थे। मास्को, रूस के उपमुख्यमंत्री ईलया कुजमिन ने भी 2019 में इस समिट में हिस्सा लिया और इस साल भी  इंडोनेशिया की मिनिस्टर ऑफ़ टूरिज्म एंड क्रिएटिव इकॉनमी सैनडिआगा उनो भी सम्मलेन में हिस्सा ले रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस समिट में शामिल होने के लिए मंजूरी न देना पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है।

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