माँ काली के एक हाथ में सिगरेट और दूसरे में LGBT का झंडा दिखा लीना ने आग में डाला घी

 

 फिल्म के विवादित पोस्टर पर भड़की हिन्दू भावनाएं, होने लगी लीना पर कार्यवाही की मांग 

नई दिल्ली:- देश भर में इन दिनों जब नूपुर शर्मा द्वारा पैगम्बर मुहम्मद के कथित अपमान को लेकर दिए गए बयान के बाद से माहौल बिगड़ा हुआ है। देश के विभिन्न राज्यों से सरेआम लोगों के गले काटे जाने व हत्या के मामले सामने आ रहे हैं, वहीं हाल ही में एक फ़िल्म के पोस्टर ने एक बार फिर हिन्दू भावनाओं को भड़काने का काम किया है। पोस्टर पर लोगों का गुस्सा इस बिगड़े माहौल में आग में घी जैसा काम किया है। वामपंथी फिल्ममेकर लीना मणिमेकलई ने ‘काली’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है, जिसमें मां काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है। यही नहीं लीना ने मां काली के एक हाथ में LGBT(लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल,ट्रांसजेंडर) का झंडा भी दिखाया है,इसके बाद इस फिल्म को लेकर हिंदू भड़क उठे हैं। सोशल मीडिया से लेकर सभी ओर लीना पर कार्यवाही की मांग की रही है।

ये है मामला:

दरअसल लीना मणिमेकलई  नाम की एक वामपंथी फिल्म मेकर ने ‘काली’ नाम की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रींनिंग कनाडा फिल्म फेस्ट में भी हुई है।इसके प्रमोशन के लिए ट्विटर पर लीना ने इसका पोस्टर भी शेयर किया है। इस डॉक्यूमेंट्री के पोस्टर के सामने आते ही विवाद खड़ा हो उठा है। पोस्टर में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि एक्ट्रेस काली माँ की वेश भूषा में हैं और वो एक हाँथ में सिगरेट फूक रही है और दूसरे में LGBT का झंडा पकडे हुए है। लीना अपने इस पोस्टर को शेयर करते हुए ट्विटर पे लिखा कि ‘काफी उत्साहित हूँ आप सभी के साथ अपनी रीसेंट फिल्म के लॉन्च पर।’ लीना की पोस्ट को हिन्दू भावनाओं को आहत करने वाली हरकत बता कर लोग न सिर्फ उन्हें बल्कि फिल्म की प्रोड्यूसर आशा पोन्नाचन को भी लताड़ लगा रहे हैं। 

पोस्टर जारी होते ही शुरु हो गया विवाद:

 लीना ने जैसे ही ट्विटर पर इसका पोस्टर शेयर किया वैसे ही लोगों की प्रतिक्रियां आना शुरू हो गयी। लोग इसे लेकर काफी भड़क गए। उन्हें ये पोस्टर बिलकुल पसंद नहीं आया। लोगों ने ट्वीट कर अपना विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया। एक यूजर ने लिखा कि

यही लोग असली गुनाहगार हैं देश मे सामप्रदायिक सदभाव बिगाडने के। जब कोई विरोध करता है तो उसे ही जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। सिर्फ एक विशेष समुदाय की आस्था का ख्याल रखा जाता है, दूसरे का नही। सख्त कठोर कर्यवाही हो।

एक यूजर ने लिखा,

‘हर रोज़ हिन्दू धर्म की भावनाओं को आहत किया जा रहा है। ये लोग हमारे सब्र का इम्तेहान ले रहे हैं।’

वहीँ कुछ लीना मणिमेकलई से पूछ रहे हैं कि क्या वो अन्य किसी धर्म के देवताओं को इस तरह दिखा सकतीं हैं। फ्रीडम ऑफ़ स्पीच और फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन के नाम पर चल रही ये अभद्रता कहाँ जा के थमेगी इसका कोई आसार नज़र नहीं आ रहा।

कौन हैं लीना मणिमेकलई : 

लीना मणिमेकलाई एक फिल्ममेकर, कवयित्री और एक्ट्रेस हैं। उनके 5 कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा वो डॉक्यूमेंट्री और एक्सपेरिमेंटल पोयम फिल्म्स भी बना चुकी हैं। उन्हें कई इंटरनेशनल और नेशनल फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। लीना ने 2002 में शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री ‘मथम्मा’ से करियर की शुरुआत की। 20 मिनट की यह डॉक्यूमेंट्री चेन्नई के पास अरक्कोणम के गांव मंगट्टचेरी में अरंधतियार समुदाय के बीच प्रचलित प्रथा के बारे में है, जिसमें लड़कियों को उनके देवता को समर्पित कर दिया जाता है। 

पहले भी विवादित फिल्म बना चुकीं मणिमेकलई : 

लीना मणिमेकलई की पहली फीचर फिल्म सेंगडल है, जो 2011 में बनी। इस फिल्म में दिखाया गया है कि श्रीलंका में एथनिक वॉर की वजह से धनुषकोड़ि में मछुआरों का जीवन कैसे प्रभावित हुआ। सेंसर बोर्ड ने शुरुआत में इस मूवी को यह कहते हुए सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था कि इस मूवी में श्रीलंका और भारत सरकार पर अपमानजनक और राजनीतिक टिप्पणी करने के साथ ही असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। काफी कानूनी लड़ाई के बाद जुलाई, 2011 में यह फिल्म रिलीज हो पाई थी।

LGBT का करतीं है समर्थन:

लीना मणिमेकलाई ने अंजलि गोपालन के साथ जुलाई 2012 में सृष्टि मदुरै के गोपी शंकर मदुरै द्वारा आयोजित एशिया की पहली जेंडरक्यूअर प्राइड परेड का समर्थन किया। लीना समलैंगिक प्रेम पर तमिल में पहला कविता संग्रह, अंतराकन्नी की लेखिका हैं। तमिल लोककथाओं से निकली, उनकी गोधूलि कविताएँ समलैंगिक कामुकता से मंत्रमुग्ध कर देने वाली हैं।

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