नोएडा। सेक्टर-12 नोएडा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय में आज संकल्प दिवस के अवसर पर जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र द्वारा एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय संसद द्वारा 22 फरवरी 1994 को पारित किए गए संकल्प को दोहराना था, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मुक्त कराने का संकल्प लिया गया था। इस अवसर पर 150 से अधिक लोगों ने भाग लिया और जम्मू-कश्मीर के महत्व पर चर्चा की गई।
संकल्प दिवस का महत्व
22 फरवरी 1994 को भारतीय संसद ने एक ऐतिहासिक संकल्प पारित किया था, जिसमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्रों को मुक्त कराने का संकल्प लिया गया था। इस संकल्प को पुनः स्मरण करते हुए इस कार्यक्रम में भारतीय संसद को इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि यह संकल्प न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि भारत की एकता और अखंडता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का भू-राजनीतिक महत्व
कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं ने जम्मू-कश्मीर, पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) और लद्दाख के पाक अधिकृत क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान की आर्थिक, राजनीतिक और भू-राजनीतिक महत्ता के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र न केवल भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके सामरिक और आर्थिक लाभ भी अत्यधिक हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओजेके के क्षेत्रों में पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर भी चर्चा की गई।
वक्ताओं ने जन जागरूकता पर जोर दिया
कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं में श्री करतार सिंह चौहान, डॉ. विशाल शर्मा, सेवानिवृत्त मेजर जनरल संजीव कुमार शुक्ला और पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के संघ की क्षेत्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री सुशील कुमार शामिल रहे। उन्होंने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए इस विषय की गंभीरता पर प्रकाश डाला और जन जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए, लेकिन इसके लिए जनता का समर्थन और जागरूकता आवश्यक है।
कार्यक्रम के मंच संचालक उमेश कुमार ने लोगों के समक्ष एक संकल्प रखा। उन्होंने कहा कि हम भारतीय अपनी पूरी शक्ति लगाएंगे ताकि जम्मू-कश्मीर का वह भाग, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है, जल्द से जल्द भारत में वापस आए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह समय भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और अब ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।