सरस आजीविका मेला 2025 में तीासरा दिन सन्डे बना फन्डे,राजस्थान के चाकरी डांस पर थिरके लोग

नोएडा। सेक्टर-33ए स्थित नोएडा हाट में 21 फरवरी से 10 मार्च 2025 तक आयोजित सरस आजीविका मेला 2025 के तीसरे दिन रविवार को लोगों ने जमकर खरीदारी की। यह मेला ग्रामीण भारत की शिल्प कलाओं और संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक बड़ा मंच बन गया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के समर्थन से चल रहे इस मेले में देश भर के 31 राज्यों के हजारों उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री हो रही है।

400 से अधिक महिला शिल्पकारों ने किया प्रदर्शन

सरस आजीविका मेला 2025 में 400 से अधिक महिला शिल्पकारों ने अपने हस्तकला और पारंपरिक कलाओं का प्रदर्शन किया। ये महिलाएं विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं और अपने कौशल के जरिए ग्रामीण संस्कृति को जीवंत कर रही हैं। इस बार मेले का एक खास आकर्षण इंडिया फूड कोर्ट भी है, जहां देश भर के 20 राज्यों की 80 उद्यमी गृहणियों ने अपने प्रदेश के प्रसिद्ध क्षेत्रीय व्यंजनों के स्टाल लगाए हैं। इन स्टालों पर हर प्रदेश के व्यंजनों का अनोखा स्वाद चखने को मिल रहा है।

मेले Saras Mela में देशभर से 400 से अधिक लखपति दीदियों ने भाग लिया। ये महिलाएं अपने उत्पादों के साथ मेले में शामिल हुईं और अपने कौशल का प्रदर्शन किया। मेले में हस्तशिल्प और हथकरघा के उत्पादों की भरमार है। आंध्र प्रदेश की कलमकारी, आसाम का मेखला चादर, बिहार की कॉटन और सिल्क साड़ियां, छत्तीसगढ़ की कोसा साड़ी, गुजरात का भारत गुंथन और पैचवर्क, झारखंड की तासर सिल्क और कॉटन साड़ियां, मध्यप्रदेश के चंदेरी और बाग प्रिंट, मेघालय के इरी उत्पाद, ओडिशा की तासर और बांदा साड़ियां, तमिलनाडु की कांचीपुरम साड़ी, तेलंगाना की पोचमपुरम साड़ी, उत्तराखंड की पश्मीना, और पश्चिम बंगाल की बालुचरी साड़ियों ने लोगों का ध्यान खींचा। इसके अलावा हस्तशिल्प, ज्वेलरी और होम डेकोर के उत्पादों में आंध्र प्रदेश की पर्ल ज्वेलरी, आसाम के वाटर हायजिनिथ हैंड बैग और योगामैट, बिहार की मधुबनी पेंटिंग और सिक्की क्राफ्ट, छत्तीसगढ़ के बेलमेटल उत्पाद, गुजरात के मडमिरर वर्क और डोरी वर्क, हरियाणा के टेरा कोटा उत्पाद, झारखंड की ट्राइबल ज्वेलरी, कर्नाटक के चन्नापटना खिलौने, ओडिशा के पटचित्र और तेलंगाना के लेदर बैग भी लोकप्रिय रहे। मेले (Saras aajivika Mela) में प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के स्टाल भी लगाए गए हैं। इन स्टालों पर अदरक चाय, दाल कॉफी, पापड़, एपल जैम, अचार आदि उत्पाद उपलब्ध हैं। तीसरे दिन महिलाओं ने उत्तर प्रदेश की बनारसी साड़ियों के साथ-साथ ओडिशा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार और आंध्र प्रदेश की साड़ियों की खरीदारी की।

मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी भरपूर आनंद लिया जा रहा है। तीसरे दिन राजस्थान के रामूजी चाकरी डांस ग्रुप के कलाकारों ने चाकरी डांस की सांस्कृतिक प्रस्तुति से लोगों का दिल जीत लिया। वहीं नोएडा के सत्यम इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन के ग्रुप डांस की प्रस्तुति ने लोगों की वाहवाही लूटी।

चिरंजीलाल कटारिया ने बताया

एनआईआरडीपीआर के सहायक निदेशक चिरंजीलाल कटारिया ने बताया कि मेले को सफल बनाने के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और एनआईआरडीपीआर पूरी तरह से प्रयासरत हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय सरस आजीविका मेला 2025 न केवल ग्रामीण कलाओं को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का भी एक मंच प्रदान कर रहा है। इस अवसर पर एनआईआरडीपीआर के सुधीर कुमार सिंह, सुरेश प्रसाद और अन्य अधिकारियों ने मेले की व्यवस्थाओं में पूर्ण सहयोग दिया। सरस आजीविका मेला 2025 ग्रामीण भारत की समृद्ध संस्कृति और कला को शहरी लोगों के साथ जोड़ने का एक बेहतरीन मौका है। यह मेला न केवल ग्रामीण कलाओं को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।