The twin towers of Noida were finally frozen : आखिर जमीदोज हुए नोएडा के ट्विन टॉवर

धूल के गुबार से बच गई दिल्ली,ग्रेटर नोएडा होगा प्रभावित

सड़क तक आया मलबा,सफाई और नियंत्रण युद्धस्तर पर

दिल्ली/नोएडा:- दिल्ली से सटे नोएडा में आखिरकार भृष्टाचार के प्रतीक बन चुके दो टॉवर रविवार को करीब ढाई बजे आखिरकार जमीदोज हो ही गए। 

नोएडा के सेक्टर 93के में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को 3700 किलोग्राम विस्फोटक के जरिए ढहाया गया। विस्फोट कर कुछ सेकंड में ही एक एक करके दोनों टॉवर गिराए गए। ट्विन टावर के धराशायी होने बाद धूल का जबरदस्त गुबार उठा। हालांकि उस पर काबू पाने की भी पूरी तैयारी की गई थी। सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 17.55 करोड रुपये का खर्च आने का अनुमान है। टावर्स को गिराने का यह खर्च भी बिल्डर कंपनी सुपरटेक ही वहन करेगी। इन दोनों टावरों में कुल 950 फ्लैट्स बने थे और इन्हें बनाने में सुपरटेक ने करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

धूल और मलबे के लिए प्रबंधन टीम सक्रिय:

ट्विन टॉवर के गिरने के तुरंत बाद लगभग 10 से 15 मिनट तक आसपास पूरी तरह धूल का गुबार छा गया,जिसके बाद कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया था। हालांकि विस्फोट के लिए इम्प्लोजन तकनीक का इस्तेमाल किया था,जिसके कारण मलबा बाहर की तरफ न जाकर अंदर की तरफ गया। हालात ये थे कि सड़कों से आसपास के पेड़ पौधों पर धूल और सीमेंट की चादर सी चढ़ गई।थोड़ी देर बाद एहतियातन लगाई गई टीम ने अन्य इमारतों से धूल के गुबार पर पानी की बौछारें कर धूल को शांत किया गया। 

अधिकारियों ने कहा सब सुरक्षित:

विस्फोट के बाद जब अधिकांश धूल बैठ जाने के बाद गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह और प्राधिकरण सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने ब्लास्ट पर नज़र बनाए हुए अधिकारियों से बात कर पूरी जानकारी ली। कमिश्नर ने कहा कि अभी तक ब्लास्ट के बाद किसी तरह के नुकसान की कोई सूचना नही है,बल्कि एडिफिस कम्पनी के एक्सपर्ट पूरी सघन जांच में जुटे हैं। वहीं नोएडा सीईओ ने बताया कि ब्लास्ट के बाद कुछ मलबा सड़क तक और पास की एटीएस सोसायटी तक गया है,जिसे साफ कराया जाएगा। फिलहाल प्रशासन पूरी तरह सक्रिय है। सब सुरक्षित हैं।

ब्लास्ट से पहले बंद किया एक्सप्रेस वे:

एहतियात पुलिस ने नोएडा ग्रेटर नोएडा के कई रास्तों को बंद कर डायवर्जन भी किया था। लेकिन ब्लास्ट से ठीक पहले एक्सप्रेस वे को भी पूरी तरह बंद कर दिया गया था।

सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम:

ट्वीन टावर के आस पास 7 सीसीटीवी कैमरों से इंसिडेंट कमांडर निगाह रहे थे। ट्विन टावर के आसपास थ्री लेयर की सुरक्षा तैनात की गई थी,जिनमें ग्राउंड में 550 सिविल पुलिसकर्मी, 100 से ज्यादा ट्रैफिक पुलिसकर्मी, 6 क्यूआरटी तैनात किए गए थे। इमरजेंसी स्थिति के लिए 120 जवानों की रिजर्व फोर्स रखी गई थी। 2 कंपनी एनडीआरएफ को भी तैनात किया गया था। स्मोग गन,एम्बुलेंस, जेसीबी,फायर ब्रिगेड की गाड़ियां आदि तमाम व्यवस्था चाक चौबंद थीं। वहीं, जिलाप्रशासन की तरफ से 5 हॉस्पिटल मे बेड आरक्षित किए गए थे। आपातकालीन स्थिति मे ग्रीन कॉरिडोर भी तैयार रखा गया था।

सिर्फ 6 लोग थे टॉवर के पास:

आपको बता दें कि टावर में लगे विस्फोटक को ब्लास्ट करने के लिए 100 मीटर की दूरी पर स्विच कंट्रोल रूम में बनाया गया था। इस दायरे में सिर्फ 6 लोग ही थे। इसके अलावा किसी को भी 500 मीटर के दायरे में आने की इजाजत नहीं थी। जो 6 लोग 100 मीटर ब्लास्ट कंट्रोल रूम में होंगे उसमें दक्षिण अफ्रीका के माइनिंग इंजीनियर टीम के सदस्य जो ब्रिंकमैन, मार्टिंस, केविन स्मिथ, साइट इंचार्ज मयूर मेहता, इंडियन ब्लास्टर चेतन दत्ता और एक पुलिस अधिकारी शामिल रहे।

इनके इशारे पर गिरी दोनों इमारतें:

बता दें कि टावर में ब्लास्ट करने के लिए रिमोट कंट्रोल का इस्तेमाल किया गया। मिली जानकारी के मुताबिक आईपीएस एस राजेश को ट्विन टावर ब्लास्ट का इंसिडेंट कमांडर बनाया गया था, जो मोबाइल कंट्रोल रूम में बैठकर सारी स्थिति और गतिविधियों पर नजर रख रहे थे। ऐसा बताया जा रहा है कि एस राजेश की ग्रीन सिंग्नल देने के बाद ही ट्वीन टावर में ब्लास्ट किया गया।

गैस और बिजली दोबारा होगी चालू:

विस्फोट के मद्देनजर आसपास की सोसायटी की बिजली और गैस आदि के कनेक्शन काट दिए गए थे। जिससे कोई विपरीत स्थिति न पैदा हो । विस्फोट के बाद प्राधिकरण अधिकारी ने बताया कि एक बार विस्फोट करने वाली कम्पनी व अन्य एजेंसियों की क्लीनचिट के बाद सभी सोसायटी को तमाम सुविधाओं को सुचारू कर दिया जाएगा और सभी लोगों को वापस लाया जाएगा। बता दें कि विस्फोट से पहले प्रशासन ने लगभग 7000 लोगों को वहां से दूर हटाया था। 

हवा के रुख ने दिल्ली को बचाया:

दोनों टॉवर्स के गिरने पर सबसे बड़ी समस्या धूल के गुबार की मानी जा रही थी । इसको लेकर दिल्ली के भी माथे पर चिंता की लकीरें थीं। प्रदूषण विभाग ने भी शनिवार को दिल्ली के प्रभावित होने का अंदाजा लगाया था,लेकिन रविवार सुबह राहत की बात ये रही कि हवा का रुख ही दिल्ली की तरफ से ग्रेटर नोएडा की तरफ को गया। जिस कारण विस्फोट के बाद धूल के कण दिल्ली की तरफ न जाकर ग्रेटर नोएडा की तरफ गया। 

ऐसे होगा मलबे के प्रबंधन:

दोनों इमारतों से जो मलबा वह इकट्ठा हुए है। वो लगभग 5 मंजिला इमारत जितना है। बताया जा रहा है कि लगभग 4000 त्तन का मलबा जो स्टील व लोहे का माना जा रहा है,जिसे एडिफिस ही बेचेगी। यही नहीं सीमेंट और अन्य प्रकार के मलबे के लिए नोएडा व आसपास में खाली प्लॉट तैयार किए गए हैं जहाँ मलबे को पहुँचाया जाएगा और बाद में निस्तारण किया जाएगा। फिलहाल मलबे को शिफ्ट करने में ही लगभग तीन माह का समय लग सकता है।

ढोल,गुलाल और मिठाई से जताई खुशी:

दोनों इमारतों के ढह जाने के कुछ देर बाद जब धूल हटी तो एक अन्य दृश्य साफ हुआ। जहां आसपास की सोसायटी के लोगों ने ढोल बजाकर और एक दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई दी। कुछ लोगों ने यहां मिठाई वितरण कर अपनी  खुशी जाहिर की। लोगों का कहना है कि इतनी लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार भृष्टाचार की हार हुई है। ये किसी सपने से कम नहीं। देश के क़ानून और संविधान ने भृष्टाचारियों को आज आईना दिखाया है। असल में यही आज़ादी का अमृत महोत्सव है।