आज नागपंचमी, ऐसे करें पूजन और कालसर्प दोष निवारण

ये है शुभ मुहूर्त पूजा की विधि

नई दिल्ली:-  हिंदू धर्म में नागपंचमी का विशेष महत्व है। आज नागपंचमी पूरे देश में एक त्योहार के रुप में काफी धूमधाम से मनायी जाती है। आज की नागपंचमी के महत्व मंगला गौरी व्रत से और भी शुभ फलदायी हो जाता है। बता दें सावन मास के तीसरे मंगलवार को मंगला गौरी व्रत का विधान है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित माना गया है।

ऐसे में नाग पंचमी के दिन भगवान शंकर के साथ माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने का अद्भुत संयोग बन रहा है। इस दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता की भी पूजा की जाती है और उन्हें दूध लावा चढ़ाया जाता है। कुछ स्थानों पर लोग सर्पों को दूध पिलाते हैं और नाग देवता की कृपा प्राप्त करते हैं। सांप को भगवान शिव का आभूषण माना जाता है।

ऐसे करें पूजन:

नाग पंचमी के दिन प्रातःकाल नहा कर, सबसे पहले घर के दरवाजे पर मिट्टी, गोबर या गेरू से नाग देवता का चित्र अंकित करना चाहिए। फिर नाग देवता दूर्वा, कुशा, फूल, अछत,जल और दूध चढ़ाना चाहिए। नाग देवता को सेवईं या खीर का भोग लगाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सांप की बांबी के पास दूध या खीर रख देना चाहिए। 

 करें इस मंत्र का जाप:

 ओम कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा 

 इस मंत्र का 108 बार जाप करके शिव प्रतिमा पर दुग्ध, नाग-नागिन की प्रतिमाएं आदि अर्पित कर सकते हैं। 

कालसर्प दोष:

मान्यता है जो व्यक्ति काल सर्प दोष से पीड़ित होता है उसकी तरक्की के रास्ते में हमेशा बाधाएं आती रहती है। कड़ी मेहनत के बावजूद भी सफलता हासिल नहीं हो पाती।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, अग्नि पुराण में लगभग 80 प्रकार के नागों का वर्णन मिलता है। इसमें अनंत, वासुकि, पदम, महापध, तक्षक, कुलिक और शंखपाल प्रमुख माने गए हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु के जन्म नक्षत्र भरणी के देवता काल हैं और केतु के जन्म नक्षत्र के के देवता सर्प हैं। अत: राहु-केतु के जन्म नक्षत्र देवताओं के नामों को जोड़कर कालसर्प योग कहा जाता है। राशि चक्त्र में 12 राशियां हैं, जन्म पत्रिका में 12 भाव हैं एवं 12 लग्न हैं। इस तरह कुल 288 काल सर्प योग घटित होते हैं। अर्थात जब कुंडली में सारे ग्रह राहु केतु के बीच में आ जाते हैं तब काल सर्प योग बनता है।

ऐसे कालसर्प दोष निवारण:

नाग पंचमी का दिन काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे उत्तम माना गया है। सुबह स्नान के बाद पूजा के स्थान पर कुश का आसन स्थापित करके हाथ में जल लेकर अपने ऊपर और पूजन सामग्री पर छिड़कना चाहिए। फिर संकल्प लेकर कि मैं कालसर्प दोष शांति हेतु यह पूजा कर रहा हूं। अत: मेरे सभी कष्टों का निवारण कर मुझे कालसर्प दोष से मुक्त करें। तत्पश्चात अपने सामने चौकी पर एक कलश स्थापित कर पूजा आरम्भ करें। कलश पर एक पात्र में सर्प-सर्पनी का यंत्र एवं काल सर्प यंत्र स्थापित करें। साथ ही कलश पर तांबे के तीन सिक्के, तीन कौड़ियां सर्प-सर्पनी के जोड़े के साथ रखें। उस पर केसर का तिलक लगाएं, अक्षत चढ़ाएं, पुष्प अर्पित करें तथा काले तिल, चावल व उड़द को पकाकर शक्कर मिलाकर उसका भोग लगाएं। फिर घी का दीपक जलाकर मंत्रोच्चार करना चाहिए। पूजा के बाद चांदी से बने नाग नागिन का जोड़ा जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।

अन्य उपाय व मान्यताएं:

कहा जाता है कि कालसर्प दोष के निवारण के लिए नाग पंचमी के दिन किसी सपेरे से नाग-नागिन का एक जोड़ा खरीदकर सपेरे से उस जोड़े को किसी जंगल में जातक मुक्त करा दें। यही नहीं नाग पंचमी के दिन अपने वजन का कोयला खरीदकर उसे पानी में प्रवाहित भी कर सकते हैं। किसी मंदिर के शिवलिंग पर अगर पहले से नाग नहीं लगा हुआ हो तो वहां पंच धातु का नाग लगवाएं। फिर उस शिवलिंग का दूध या जल से अभिषेक करें और नाग देवता से काल सर्प दोष से मुक्ति की प्रार्थना करें। 

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