राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
नई दिल्ली:- शनिवार को जस्टिस उदय उमेश ललित ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक विशेष समारोह के दौरान उन्हें सुप्रीम कोर्ट के 49वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ दिलाई। इस शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जज मौजूद रहे। आपको बता दें कि जस्टिस ललित ऐसे दूसरे चीफ जस्टिस होंगे जो सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले किसी हाईकोर्ट के जज नहीं थे, बल्कि सीधे वकील से इस पद पर पहुंचे हैं। उनसे पहले 1971 में देश के 13वें मुख्य न्यायाधीश एस एम सीकरी ने यह उपलब्धि हासिल की थी। जस्टिस ललित अपने सौम्य स्वभाव के लिए पहचाने जाने हैं।
सिर्फ 74 दिनों का रहेगा कार्यकाल:
चर्चा है कि जस्टिस यूयू ललित का चीफ जस्टिस के पद पर बने रहने का सफर अधिक लंबा नहीं रहेगा। वे आज यानी 27 अगस्त को सीजेआई का पद संभालने के बाद आठ नवंबर 2022 को रिटायर हो जाएंगे। इतने कम समय के लिए चीफ जस्टिस रहने का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी देश के कई चीफ जस्टिस इससे भी कम कार्यकाल के लिए पड़ पर रह चुके हैं।
जस्टिस ललित के बारे में:
जस्टिस ललित के पिता यू. आर. ललित बॉम्बे हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज रह चुके हैं। जस्टिस ललित के दादा रंगनाथ ललित भी महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के नामी वकीलों में से एक थे। जस्टिस ललित भी 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त हुए थे। उससे पहले वह देश के सबसे बड़े वकीलों में गिने जाते थे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2जी घोटाला मामले में विशेष पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया था।
3 तलाक और विजय माल्या केस सहित कई बड़े मामले में दिए फैसले:
सुप्रीम कोर्ट में अपने अब तक के कार्यकाल में जस्टिस ललित कई बड़े फैसलों के हिस्सा रहे हैं। 22 अगस्त 2017 को एक साथ 3 तलाक बोलने की व्यवस्था को असंवैधानिक करार देने वाली 5 जजों की बेंच के वह सदस्य थे। हाल ही में जस्टिस ललित ने अवमानना के मामले भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 4 महीने की सज़ा दी थी। कोर्ट ने माल्या पर 2 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। यही नहीं बच्चों को यौन शोषण से बचाने पर भी जस्टिस ललित ने अहम आदेश दिया था। जस्टिस ललित उस बेंच में भी रहे जिसने 2019 में आम्रपाली के करीब 42,000 फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत दी थी। ज्ञात हो कि अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी न करने का आदेश भी जस्टिस ललित की सदस्यता वाली बेंच ने दिया था।
10 जनवरी 2019 को जस्टिस यू यू ललित ने खुद को अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच से खुद को सिर्फ इसलिए अलग कर लिया था क्योंकि उन्होंने 2 दशक पहले अयोध्या विवाद से जुड़े एक आपराधिक मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए वकील रह चुके थे।