अखिलेश ने कॉंग्रेस के एक नेता को कहा ‘चिरकुट’ , तो यूपी से एमपी तक आया सियासी भूचाल

लखनऊ।

 मध्य प्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं। बात इतनी बढ़ गई है कि दोनों तरफ से बयानबाजी के दौरान ‘छुटभैय्या नेता’, ‘चिरकुट’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। 

दरअसल मध्यप्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि अगर मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस उन्हें सीटें देने को तैयार नहीं तो यूपी में सपा बड़े भाई की भूमिका में है। सपा भी यूपी में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी। सपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी के नेताओं ने मध्य प्रदेश में एक बैठक के लिए कांग्रेस के फोन कॉल का जवाब नहीं दिया होता अगर उन्हें पता होता कि इंडिया गठबंधन केवल राष्ट्रीय स्तर (लोकसभा चुनाव के लिए) तक ही सीमित है। 

अखिलेश के इस बयान के बाद यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि उनकी पार्टी सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। मध्य प्रदेश में सपा की कोई हैसियत नहीं है। अजय राय के इस बयान के बाद जुबानी जंग और आगे बढ़ी और अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रदेश अध्यक्ष की कोई हैसियत नहीं होती। उनकी हैसियत क्या है? इंडिया गठबंधन के बारे में वे कितना जानते हैं, क्या बैठकों में थे। इतना ही नहीं अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस के ये नेता बीजेपी से मिले हुए हैं। मैं कांग्रेस से कहूंगा कि अपने इन चिरकुट नेताओं से हमारे लिए बयान न दिलवाए। 

इसके बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अखिलेश यादव पर पलटवार किया और कहा कि जो अपने बाप का सम्मान नहीं कर पाया, वह मेरा क्या करेगा? इस बयानबाजी में फिर और भी नेता कूद पड़े। 

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने अजय राय को चिरकुट कहे जाने पर नाराजगी जताई और कहा कि समाजवादी पार्टी के “राष्ट्रीय” अध्यक्ष अखिलेश यादव को हम हमेशा माननीय अध्यक्ष कह कर संबोधित करते हैं, लेकिन वो हमारे प्रदेश अध्यक्ष को “चिरकुट” बता रहे हैं। ये तो सरासर पार्टी नेतृत्व की तौहीन है, इस तरह से ये गठबंधन कितने दिन चल पायेगा? ये बयान तो “इजराइल” की “मिजाइल” जैसा है, गठबंधन की “इमारत” को धराशायी कर सकता है। 

विवाद यहीं नहीं थमा । इसपर अखिलेश के चाचा और सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कांग्रेस नेताओं को लेकर कहा कि हमें इनपर कुछ नहीं कहना है, ये छुटभैय्या नेता हैं। कांग्रेस को अपने छोटे नेताओं के बोलने पर रोक लगानी चाहिए। 

अचानक थमा भूचाल:

हालांकि इन बढ़ती तल्ख़ियों के बीच कुछ ऐसा हुआ कि दोनों तरफ के सुर ढीले पड़ गए । बताया जा रहा है कि इसी बीच अखिलेश यादव को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का मैसेज आया और मामला शांत हुआ। अखिलेश ने कहा कि वे गठबंधन को बचाने की हर संभव कोशिश करेंगे। कांग्रेस के बड़े नेता का हमारे पास संदेश आया है। इसलिए बड़े नेता की बात माननी पड़ेगी। कांग्रेस को जरूरत महसूस होने पर सपा साथ देने में पीछे नहीं हटेगी। 

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