सावन में शिवलिंग के अभिषेक से मिलता है अश्वमेघ यज्ञ से भी बड़ा पुण्यफल


इस अद्भुत योग में हो रही सावन की शुरुआत


नई दिल्ली:- आषाढ़ मास की पूर्णिमा यानी की गुरु पूर्णिमा के अगले दिन 14 जुलाई 2022 को सावन महीने का आरंभ होकर 12 अगस्त तक रहेगा यानी कि इस बार श्रावण मास 29 दिन का होगा। इस दिन विष्कुभं और प्रीति योग बन रहे हैं। मान्यता है कि ये दो योग शिव जी की भक्ति के लिए बहुत फलदायी होते हैं। सावन में इन योग में देवों के देव महादेव का रुद्राभिषेक करने से समस्त दुखों का नाश हो जाता है।
शास्त्रों और पुराणो के अनुसार जब हम शिव लिंग संज्ञक स्वरुप महादेव का अभिषेक करते है तो उस जैसा पुण्य अश्वमेघ यज्ञ से भी प्राप्त नही होता।

रूद्राभिषेक व पुण्यफल:


ज्योतिषाचार्य डॉ भूपेन्द्र मिश्र बताते हैं कि पुराणों में स्वयं सृष्टि कर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है की जब हम अभिषेक करते है, तो स्वयं महादेव साक्षात् उस अभिषेक को ग्रहण करते है । संसार में ऐसी कोई वस्तु , कोई भी वैभव , कोई भी सुख , ऐसी कोई भी वस्तु या पदार्थ नही है जो हमें अभिषेक से प्राप्त न हो सके।
रुद्राभिषेक प्रयुक्त होने वाले प्रशस्त द्रव्य व उनका फल—

जलसे रुद्राभिषेक — वृष्टि होती है।

कुशोदक जल से — समस्त प्रकार की व्याधि की शांति।

दही से अभिषेक — पशु प्राप्ति होती है।

इक्षु रस — लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए।

मधु (शहद)– धन प्राप्ति के लिए क्षय (तपेदिक)।

घृत से अभिषेक व तीर्थ जल से भी — मोक्ष प्राप्ति के लिए।

दूध से अभिषेक — प्रमेह रोग के विनाश के लिए -पुत्र प्राप्त होता है।

जल की की धारा भगवान् शिव को अति प्रिय है ,अत: ज्वर के कोपो को शांत करने के लिए जल धारा से अभिषेक करना चाहिए।

सरसों के तेल से अभिषेक करने से आत्म रक्षण होता है।यह अभिषेक करने से बहुत सी समस्याओं का समाधान होता है।

शक्कर मिले जल से अभिषेक करने पर पुत्र की प्राप्ति होती है।

इत्र(सुगन्धित द्रव्य) मिले जल से अभिषेक करने से शरीर की बीमारी नष्ट होती है।

दूध से मिले काले तिल से अभिषेक करने से भगवन शिव का आधार इष्णन करने से रोग व शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।

इन तिथियों पर अभिषेक करना होता है फलदायी:

  1. प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या तथा शुक्लपक्ष की द्वितीया व नवमी के दिन भगवान शिव माता गौरी के साथ होते हैं, इस तिथिमें रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि उपलब्ध होती है।
  2. कृष्णपक्ष की चतुर्थी, एकादशी तथा शुक्लपक्ष की पंचमी व द्वादशी तिथियों में भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर होते हैं और उनकी अनुकंपा से परिवार मेंआनंद-मंगल होता है।
  3. कृष्णपक्ष की पंचमी, द्वादशी तथा शुक्लपक्ष की षष्ठी व त्रयोदशी तिथियों में महादेव नंदी पर सवार होकर संपूर्ण विश्व में भ्रमण करते है।अत: इन तिथियों में रुद्राभिषेक करने पर अभीष्ट सिद्ध होता है।

इन तिथियों पर भूलकर भी न करें अभिषेक:

  1. कृष्णपक्ष की सप्तमी, चतुर्दशी तथा शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, पूर्णिमा में भगवान महाकाल श्मशान में समाधिस्थ रहते हैं। अत: इन तिथियों में किसी कामना की पूर्ति के लिए किए जाने वाले रुद्राभिषेक में आवाहन करने पर भगवान शिव की साधना भंग होती है, जिससे अभिषेककर्ता पर विपत्ति आ सकती है।
  2. कृष्णपक्ष की द्वितीया, नवमी तथा शुक्लपक्ष की तृतीया व दशमी में महादेव देवताओं की सभा में उनकी समस्याएं सुनते हैं। इन तिथियों में सकाम अनुष्ठान करने पर संताप या दुख मिलता है।
  3. कृष्णपक्ष की तृतीया, दशमी तथा शुक्लपक्ष की चतुर्थी व एकादशी में सदाशिव क्रीडारत रहते हैं। इन तिथियों में सकाम रुद्रार्चन संतान को कष्ट प्रदान करते है।
  4. कृष्णपक्ष की षष्ठी, त्रयोदशी तथा शुक्लपक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी में रुद्रदेव भोजन करते हैं। इन तिथियों में सांसारिक कामना से किया गया रुद्राभिषेक पीडा देते हैं।

इस बार सावन में सिर्फ 4 सोमवार:


सावन मास के पहला सोमवार 18 जुलाई को है और इस दिन रवि नामक योग पड़ रहा है। शास्त्रों में रवि योग के बारे में बताया गया है कि इस योग में किसी मंत्र की साधना अधिक फलदायी होती है। इस योग में मनोकामना सिद्धि के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप और शिव पुराण का पाठ बेहद लाभकारी रहेगा। साथ ही रवि योग में शिव परिवार की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन पंचमी तिथि होने की वजह से कुछ जगहों पर नाग पंचमी का पर्व भी मनाया जाएगा। यानी इस दिन भगवान शिव के साथ उनके सेवक नाग की भी पूजा होगी। इसके अलावा दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा सोमवार 01 अगस्त और चौथा सोमवार 08 अगस्त को होगा। साथ ही सावन मास की शिवरात्रि 26 जुलाई 2022 को है।

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