✍️ योगेश राणा
:- अब तक पाँच किताबें लिख चुके हैं सूबेदार शंभू प्रसाद सुयाल
नोएडा :- भारतीय सेना में 28 वर्षों तक सेवा देने वाले और 1965 तथा 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले रिटायर्ड सूबेदार शंभू प्रसाद सुयाल ने अब साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने का संकल्प लिया है। बुधवार को नोएडा के सेक्टर 29 स्थित गंगा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में नोएडा मीडिया क्लब द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया।प्रेसवार्ता के दौरान शंभू प्रसाद सुयाल ने बताया कि उन्होंने अब तक पाँच पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें दो कहानी संग्रह, एक उपन्यास और गीत एवं गद्य की रचनाएं शामिल हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में “मैं पराई नहीं हूँ”, “सहारा”, “समर्पण”, “योग्यता” और “मधुरगीत” शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने संगीत के क्षेत्र में भी अपनी रुचि को जारी रखा है और प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने कई गीत गाकर मीडिया कर्मियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि वे दूरदर्शन पर समय-समय पर अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहते हैं।
सेना से रिटायरमेंट के बाद केंद्रीय सचिवालय में भी दी सेवाएं
शंभू प्रसाद सुयाल ने अपने जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि उनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उनका चयन 1964 में भारतीय सेना में हो गया। सेना में 28 वर्षों तक सेवा देने के दौरान उन्होंने 1965 और 1971 के युद्ध में भाग लिया और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अपनी वीरता का परिचय दिया। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें कई पदकों से सम्मानित किया गया। सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने केंद्रीय सचिवालय में नौकरी की और 13 वर्षों तक सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत रहे। वहां से रिटायर होने के बाद उन्होंने साहित्य और संगीत के क्षेत्र में अपना योगदान देना शुरू किया।
प्रेसवार्ता के दौरान शंभू प्रसाद सुयाल ने सेना में अपने अनुभवों और युद्ध के दौरान की गई वीरता के कई किस्से साझा किए। उन्होंने बताया कि वे लगातार कहानियां और कविताएं लिख रहे हैं और जल्द ही उनकी नई पुस्तकें बाजार में आएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी उम्र अब करीब 80 वर्ष हो गई है, लेकिन लेखन के प्रति उनका जुनून लगातार बढ़ता जा रहा है। उनका मानना है कि साहित्य और संगीत के माध्यम से वे समाज को एक नई दिशा दे सकते हैं।