World kidney Day : जेपी हॉस्पिटल द्वारा अब तक किया गया 1000 से अधिक सफल किडनी ट्रांसप्लांट

:- भारत में हर साल करीब 12000 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे है । ख़राब जीवनशैली के चलते अधिकांश लोग किडनी की समस्याओं से ग्रषित है।

नोएडा :- नोएडा स्थित मल्टी-सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान जेपी हॉस्पिटल ने प्रत्यारोपण चिकित्सा 1000 से अधिक सफल किडनी ट्रांसप्लांट कर एक गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पूरे दिल्ली-एनसीआर में जेपी हॉस्पिटल में अंगों का ट्रांसप्लांट बहुत ही उचित कीमत पर किया जाता है। दुनिया भर से आए मरीजो का सफल किडनी ट्रांसप्लांट कर विश्वास के साथ विदेश में भी हॉस्पिटल ने एक सम्मानजनक स्थान हासिल किया है। अपनी उपलब्धि पर पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए जेपी हॉस्पिटल के यूरोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर एवं कोर्डिनेटर डॉ अमित के देवड़ा ने कहा भारत में हर साल करीब 12000 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे है और खराब जीवनशैली के चलते अधिकांश लोग किडनी की समस्याओं से ग्रषित है। मरीजों को अब किडनी प्रत्यारोपण के लिए अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि जेपी हॉस्पिटल में किडनी प्रत्यारोपण बहुत अत्याधुनिक पद्धति से किया जा रहा है। इस पद्धति द्वारा डोनर की किडनी को दूरबीन द्वारा शरीर से निकला जाता है, जिसका सबसे अधिक लाभ यह होता है कि डोनर को बहुत ही कम तकलीफ होती है और उसे हॉस्पिटल से जल्द छुट्टी मिल जाती है। इसके साथ ही यहां डोनर विथमल्टीपलवैसल्स किडनी में अधिक नसों का होना बच्चों की किडनी का प्रत्यारोपण, अनमैच्ड ब्लड ग्रुप के बीच प्रत्यारोपण एबीओ इंकंपैटिबल एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता में असंतुलन वाले मरीजों की किडनी का भी सफल ट्रांसप्लांट किया गया है।

डॉ अनिल प्रसाद भट्ट ने बताया

डॉ अनिल प्रसाद भट्ट डायरेक्टर डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट ने बताया स्थापित होने के कुछ ही वर्षो में जेपी हॉस्पिटल ने 1000 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट का अपने आप में एक अनोखा रिकार्ड है। अत्याधुनिक तकनीक और कुशल डॉक्टर्स की टीम के कारण यह उपलब्धि हासिल हुई है। खास बात यह है कि टीम ने क्रांस मैच्डपॉजीटिव प्रत्यारोपण, एबीओ इंकंपैटिबल ट्रांसप्लांटेशन के साथ-साथ एक रोगी का दूसरी या तीसरी बार भी सफल प्रत्यारोपण किया है।

डॉ. विजय कुमार सिन्हा बताया

डॉ. विजय कुमार सिन्हा, डायरेक्टर – डिपार्टमेंट ऑफ़ नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट ने भी क्रोनिक किडनी फैल्योर के बारे में बताते हुए कहा की , “वर्तमान का चिकित्सकीय शोध यह बताता है कि किडनी की बीमारी के मुख्य कारणों में मधुमेह, रक्तचाप, नेफ्रीटाइस, बिना चिकत्सक के सलाह के पैन किलर एवं अन्य दवाइयों का सेवन करना । जब किडनी की बीमारी लाईलाज अवस्था में पहुंचे तो मरीज को प्रत्यारोपण करा लेना चाहिए क्योंकि इससे जीवन भर डायलिसिस कराने से मरीज को मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही मरीज को इससे कई और लाभ भी मिलते हैं। आर्थिक रूप से मरीज को राहत मिलती है क्योंकि जितनी राशि एक साल में डायलिसिस कराने में मरीज खर्च करते हैं, करीब उतने पैसे में पूरा ट्रांसप्लांट हो जाता है। प्रत्यारोपण के बाद मरीज एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह अपनी दिनचर्या पूरी कर सकता है। बच्चों के मामले में यह और भी अधिक लाभकारी है क्योंकि प्रत्योरण के बाद बच्चों के शरीर का विकास सही तरीके से होता है।”