:- योगी सरकार दोनों डिप्टी सीएम ने बताया अखिलेश शासन का भ्रष्टाचार
:- समाजवादी पार्टी का पलटवार सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा। जनता की नजर में गिर गई सरकार
नोएडा :- पूरे देश की नजर नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर पर थी। वहीं इसे लेकर भी सियासत शुरू हो गई है। यूपी सरकार के दोनों डिप्टी सीएम ने एक जैसे ट्वीट करते हुए समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने इसे सपा शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बताया है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया।
उन्होंने लिखा नोएडा का सुपरटेक ट्विन टावर समाजवादी पार्टी के भ्रष्टाचार और अराजकता की नीति का जीवंत प्रमाण है। आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में सपा के कुकर्मों की प्रतीक यह अवैध इमारत जमींदोज हो रही है। यह है न्याय, यही सुशासन।
दोनों डिप्टी सीएम की इस बयानबाजी पर सपा ने भी पलटवार किया है। सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने ट्वीट कर लिखा आज यूपी की भाजपा सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबी है। भ्रष्टाचार करने वालों को सिर्फ चारों तरफ भ्रष्टाचार दिखाई पड़ता है। जो सरकार जनता की नजर में गिर गई हो, जब वो गिरने और गिराने की बात करते हैं तो हास्यास्पद लगता है। भ्रष्टाचार की इस गगनचुंबी इमारत के बनने की कहानी की शुरुआत करीब डेढ़ दशक पहले हुई थी। नोएडा के सेक्टर 93.ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए 23 नवंबर, 2004 को नोएडा प्राधिकरण ने जमीन का आवंटन किया था। 21 जून, 2006 को एक और लीज डीड की गई। उस समय मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे। इसी सरकार में भ्रष्टाचार की शुरुआत मानी जाती है। 2012 में बायर्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया। कोर्ट के आदेश पर पुलिस जांच के आदेश दिए गए। पुलिस जांच में बायर्स की बात को सही बताया गया। इस जांच रिपोर्ट को भी दबा दिया गया। नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डर के साथ मिलीभगत करके ही इन टावर के निर्माण को मंजूरी दी है। इसीलिए इस भ्रष्टाचार का आरोप अखिलेश सरकार पर लगाया जा रहा है। नियमों को ताक पर रखकर बनाई गई इस बिल्डिंग के निर्माण में नोएडा विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों और बिल्डर की मिलीभगत की बात साबित हुई। मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की गहन जांच कराई। सितंबर, 2021 में सीएम योगी के आदेश पर अवस्थापना और औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यों की समिति गठित की गई। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर मामले में संलिप्त 26 अधिकारियों, कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और उनके वास्तुविदों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।