जोहार। नमस्कार। मैं द्रौपदी मुर्मू…..


पढ़िए शपथ लेते ही क्या बोलीं राष्ट्रपति?

नई दिल्ली:- सोमवार को देश की 15 वीं राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने शपध ली। प्रधानमंत्री सहित तमाम नेताओं की उपस्थिति में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले औपचारिक अभिभाषण के दौरान वहां मौजूद गणमान्य लोगों को संबोधित करने साथ साथ उन्होंने अपने अभिभाषण ने कोरोना, डिजिटल, शिक्षा कई अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे।

ये मेरी नहीं भारत के गरीब की उपलब्धि:
इस दौरान उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है।” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को सराहना करते हुए संथाल क्रांति, पाइका क्रांति से लेकर कोल क्रांति और भील क्रांति का जिक्र करते हुए कहा कि सामाजिक उत्थान एवं देश-प्रेम के लिए ‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा जी के बलिदान से हमें प्रेरणा मिली थी।उन्होंने कहा कि मेरा जन्म तो उस जनजातीय परंपरा में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल-मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है। मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है। हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। मैं आज समस्त देशवासियों को, विशेषकर भारत के युवाओं को तथा भारत की महिलाओं को ये विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर कार्य करते हुए मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि होंगे।

स्वतंत्रता सेनानियों को भी किया याद:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और उनकी शिक्षा को याद करते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, नेहरू जी, सरदार पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे अनगिनत स्वाधीनता सेनानियों ने हमें राष्ट्र के स्वाभिमान को सर्वोपरि रखने की शिक्षा दी थी। रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी अनेकों वीरांगनाओं ने राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण में नारीशक्ति की भूमिका को नई ऊंचाई दी थी।

अमृत काल में करना है तेज गति से काम:

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि विविधताओं से भरे अपने देश में हम अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाजों को अपनाते हुए ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में सक्रिय हैं। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य।

युवा शक्ति और महिला सशक्तिकरण पर जोर:

अपने अभिभाषण के दौरान उन्होंने युवा शक्ति व महिला सशक्तिकरण पर बोलते हुए कहा कि मेरे इस निर्वाचन में, पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है। ऐसे प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए आज मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि हमारी सभी बहनें व बेटियां अधिक से अधिक सशक्त हों तथा वे देश के हर क्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाती रहें।

कोरोना की रोकथाम को बताया उपलब्धि:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने अभिभाषण में कोरोना संक्रमण की रोकथाम में भारत के कदम की सराहना करते हुए कहा कि कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज़ लगाने का कीर्तिमान बनाया है। इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस संयम, साहस और सहयोग का परिचय दिया, वो एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है।

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