नई दिल्ली।
दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) प्रोजेक्ट के लिए अपने हिस्से के फंड का भुगतान न करने पर दिल्ली सरकार की खासी किरकिरी हो रही है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने कहा है कि आपका 3 साल का विज्ञापन बजट 1100 करोड़ है, पर जरूरी काम के लिए पैसे नहीं हैं। दरअसल, रैपिड रेल कोइसके जरिए दिल्ली को यूपी के मेरठ से जोड़ा गया है। प्रोजेक्ट के लिए दोनों राज्यों की सरकार को भुगतान करना है।
अदालत ने राज्य सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि आपकी तरफ से भुगतान का आश्वासन दिया गया।हमने आगाह किया था कि अगर भुगतान नहीं हुआ तो आपका विज्ञापन बजट जब्त किया जाएगा। हम अब इसे जब्त करने का आदेश दे रहे हैं। सिर्फ 1 हफ्ते तक यह आदेश स्थगित रहेगा। तब तक आपने कदम नहीं उठाए तो आदेश लागू हो जाएगा। ऐसे में अदालत ने साफ कर दिया है कि अगर फंडिंग नहीं हुई, तो दिल्ली सरकार को विज्ञापन बजट से हाथ धोना पड़ सकता है।
दरअसल, केंद्र सरकार दिल्ली को इसके आस पास के राज्यों के बड़े शहरों को जोड़ने के लिए रैपिड रेल के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। फिलहाल कुल मिलाकर 3 आरआरटीएस प्रोजेक्ट हैं। इसमें से पहला प्रोजेक्ट दिल्ली मेरठ, दूसरा दिल्ली-अलवर और तीसरा दिल्ली-पानीपत के बीच है। इन प्रोजेक्ट्स के जरिए दिल्ली को यूपी, राजस्थान और हरियाणा से जोड़ा जाएगा। दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस के लिए दिल्ली सरकार पर इस साल के 565 करोड़ रुपए बकाया हैं। यहां हैरानी वाली बात ये है कि दिल्ली सरकार का इस साल का विज्ञापन बजट 550 करोड़ रुपए हैं। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए विज्ञापन बजट जब्त करने की बात कही है। इस मामले पर अब अगली सुनवाई 28 नवंबर को होनी है।